गुरुवार, 14 फ़रवरी 2013

बस यूँ ही


प्यार ! कैसा है ये प्यार 
क्या जरूरी है इसके लिए 
सोलह साल का अल्हड़पन 
आती - जाती ऋतुओं से 
थामना बसंती पुरवाई को 
झिझकती ठिठकती तिथियाँ 
चुन लेना बस एक तिथि को 
कभी शमा रौशन करना  
कभी नम सी साँसें और ..
प्यार ! इसको नहीं चाहिए 
न कोई दिन , नही कोई लम्हा
नहीं रखता ख़्वाबों में भी तन्हा  
इसके लिए चाहिए सिर्फ 
धड़कनों में आती जाती बस 
चंद साँसें .........
             -निवेदिता 


19 टिप्‍पणियां:

  1. प्रेम को शब्द देना कहाँ सरल है..... सुंदर भाव

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  2. सुंदर और सार्थक भी ...!!
    शुभकामनायें ...

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  3. सच में प्यार किसी विशेष उम्र, ऋतु या तिथी का मोहताज नहीं है । सुन्दर अभिव्यक्ति ।

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  4. प्यार तो प्यार है इसे कोई नाम ना दो :)

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  5. बसन्त पंचमी की हार्दिक शुभ कामनाएँ!


    दिनांक 16 /02/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  6. प्यार दिवाना होता है मस्ताना होता....है, हर खुशी से हर ग़म से बेगाना होता है ....:)

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  7. pyaar ka koi din samy nahi hota..sundar prastuti..

    http://kahanikahani27.blogspot.in/

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  8. प्यार करना, प्यार निभाना और प्यार को संजोना अपने आप में के बहुत प्यारी बात है | आपकी रचना पढ़कर अच्छा लगा | आभार |

    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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  9. प्रेम में आँख बन्द कर जगत भूल जाने के बाद तो सब ईश्वरीय ही तो हो जाता है।

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