मंगलवार, 9 अक्तूबर 2012

"प्रायोपवेशन"



"प्रायोपवेशन" ....... जब भी इसके बारे में पढ़ा अथवा  सोचा मानस अजीब सी दुविधा में पड़ जाता है | समझ नहीं पाती हूँ कि ये चुनौतियों से पराजय की स्वीकृति है  अथवा नित नवीन उमड़ते झंझावातों से विरक्ति ! एक पल को लगता है जैसे कि ये  समस्त  दायित्वों के सफलमना होने की अति संतुष्टि के बाद की उपजी उदास और विरक्त मानसिक स्थिति है , परन्तु  अगले ही पल लगता है कि सम्भवत:  ये एक  हड़बड़ी  में लिया गया अनुचित निर्णय है | कोई भी पल कभी भी इतना सफल  नहीं हो सकता कि  वो किसी को  इस  ह्द तक तोड़ दे कि वो सब कुछ समाप्त करने का विचार करने लगे !

सब  समाप्त करने का निर्णय कितना कठिन होता होगा और उससे भी दुरूह  होता  है उस  निर्णय को  कार्यान्वित कर पाना | सबके  लिए  निर्णय लेने में सक्षम व्यक्ति स्वयं अपने लिए ऐसा निर्बल कैसे हो सकता है कि जीवन्तता त्याग कुछ अन्य सोचे ! इस निर्णय को लेने के पहले उस के बाद की परिस्थितियों का आकलन भी करता है ,उसके औचित्य और अनौचित्य को भी भरपूर सोचता है ,तब भी इतना कमजोर कैसे हो जाता है !

इस निर्णय के पीछे अगर उसके किसी अपने के प्रति कोई दुश्चिंता छिपी रहती है , तब भी उसके  न  रहने  पर  उसका  वो प्रिय कैसे संतुष्ट  हो पायेगा ! पता  नहीं ये  कुछ  कमजोर  पलों में प्रभावी होने वाली दुर्बलता होती है अथवा कठिन लम्हों में उसका बिखराव इसका कारण होता है ! बहरहाल कारण जो भी हो ये किसी भी समस्या का समाधान तो कभी हो ही नहीं सकता | हाँ ! आने वाली नित नवीन समस्याओं का कारण अवश्य होता है ....
                                                                                                          -निवेदिता 

( प्रायोपवेशन उस अवस्था को कहते हैं जब मृत्यु की कामना करते हुए या कहूँ कि प्रतीक्षा में अन्न - जल का त्याग कर देते हैं | आत्महत्या की एक तरह से धीमी प्रक्रिया है ये | )

26 टिप्‍पणियां:

  1. ये होता क्या है माफ़ कीजिये अंग्रेजी कमज़ोर है ।......क्या आत्महत्या ?

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    1. सही कहा ... वैसे ये अंग्रेज़ी का नहीं हिन्दी का शब्द है ... आभार !

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    2. क्या कहा हिंदी का ....कमाल है मैंने तो पहली बार ही सुना है ......आभार ।

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  2. क्षणिक विरक्ति तो होती रहती है, क्षणिक अनुराग भी होता है, पूर्णता तो इसमें भी नहीं मिल पाती है।

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  3. बहुत गहन बात लिख डाली निवेदिता....
    मन व्यथित सा हुआ...
    सस्नेह
    अनु

    मुकेश जी ,इमरान जी....इसे अन्न त्याग कर मृत्यु की कामना समझ लें...अकसर जब कोई इच्छाएं शेष न रही हों..हिंदू/जैन धर्म में इसे किया जाता है..
    actual meaning is-resolving to die through fasting...

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    1. ओह तो ये मतलब है इसका हाँ मैंने सुना है की जैन धर्म में ऐसा होता था.....पर शब्द का पता नहीं था आपका शुक्रिया ।

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  4. सभी लोग स्वभाव से जुझारू नहीं हो पाते ....जीवन जिसको जैसा मिले ...क्या कहा जाय ...!!

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  5. क्यों ऐसा क्या मजबूर करता होगा करने के लिए ? धर्म यह तो नहीं सीखाता शायद :)

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  6. क्या कहा जाये ..ऐसी विरक्ति मेरी समझ से तो बाहर है.कोई धर्म भी शायद नहीं सिखाता होगा.परन्तु क्षणिक आवेग हो सकता है किसी भी इमोशन का.

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  7. ये कुछ कमजोर पलों में प्रभावी होने वाली दुर्बलता होती है अथवा कठिन लम्हों में उसका बिखराव इसका कारण होता है ! बिल्‍कुल सही कहा आपने

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  8. सार्थक लेख
    सच कहूं तो ये एक विचारणीय प्रश्न भी है।
    आत्महत्या का कोई भी समर्थन नहीं कर सकता। लेकिन पता नहीं क्यों जब कहा जाता है कि कमजोर लोग आत्महत्या करते हैं। इसे मै नहीं मानता, आत्महत्या का फैसला बहुत बड़ा फैसला है, कमजोर आदमी नहीं कर सकता।
    मुझे लगता है कि जब आदमी को लगता है कि आगे के सभी रास्ते बंद है, इसलिए वो मजबूरी में इतना बड़ा फैसला करता है। हालाकि ये फैसला मूर्खतापूर्ण मानता हूं क्योंकि मैं इस मत का हूं कि हर मुश्किल का रास्ता है, कोई कठिन कोई आसान।

    अच्छा लेख

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  9. इस शब्द का टीका सहित अर्थ आज जाना आभार

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    1. हिन्दू मान्यता के अनुसार जीवन में एक समय ऐसा भी आता है जब लगता है कि अब सब कुछ कर चुके हैं | जीवन से विरक्त हो कर जीवन को समाप्त करने की कामना करने लगते हैं ... ऐसा सोचना दु:खद है ,परन्तु सत्य है ....आभार !

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  10. आत्महत्या करने के अनेक कारण हो सकते है,सच में एक विचारणीय प्रश्न है।

    दु:खद किन्तु सत्य घटना.,,,,,

    अभी पिछले साल नवम्बर गोवा में एक युवा दंपति द्वारा की गई आत्महत्या ने
    सबको दहला दिया था ३९ वर्षीय साफ्टवेयर इंजीनियर'आनंद रंथीदेवन'और
    उसकी३६वर्षीय पत्नी 'दीपा' फांसीपर झूलते पाए गए,किसी आर्थिक कठिनाई
    बीमारी या फिर संबंधों में तनाव के कारण इस तरह की आत्महत्या हैरत
    पैदा नही करती| हैरत की बात यह थी कि रंथीदेवन दंपंती आर्थिक रूप से
    संपन्न था, सफल था, स्वस्थ था.खुश था,.फिर यह कदम क्यों.?उसके फ़्लैट
    से मिले सुसाईट नोट में इस सवाल का जबाब दर्ज था,...हमने खूब अच्छी
    जिंदगी गुजारी है, हम दुनिया भर में घूमे है, और कई देशों में रहे है, हमने
    इतनापैसा कमाया जिसकी कभी कल्पनाभी नही कीथी और इसे उन चीजों
    पर खर्च किया जिसमे हमे खुशी मिलतीथी..आगे सार यहथा कि अब जीने
    के लिए कुछ बचा नही है, इसलिए हम खुदकुशी कर रहे है,,,,,

    RECENT POST: तेरी फितरत के लोग,

    dheerendra

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  11. "प्रायोपवेशन" .....भले ही ये शब्द मैंने पहली बार सूना है ..पर इस से झूझने वाले के बार में इतना तो जानती हूँ कि ''आत्महत्या या उसी कोशिश करने वाले एक ऐसे अन्धकार से झूझ रहे होते है जिसका उन्हें भी नहीं पता चलता और वो अन्धकार उनकी मौत के साथ ही खत्म होता है ''


    निवेदिता जी बहुत अच्छा लेख लिखा है आपने .....

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  12. जाने कैसे जीवन की सारी जिम्मेदारियों से मुक्ति पा लेते है लोग . उनके लिए कई जनम लेकर सद्कार्य करना नहीं उनकी अपनी भौतिक विलास ही प्राथमिकता होती होगी . जीवन का लक्ष्य न होना विस्मित करता है चाहे जरावस्था ही क्यों न हो . ये घोर पलायनवादी कदम है

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  13. एक विचारणीय प्रश्न ..दुखद किन्तु सच..

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  14. कोई गहरे क्षोभ में ही ऐसा निर्णय लेता होगा .... विचारणीय मुद्दा

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  15. ये मुद्दा सचमुच विचार करने योग्य है, थोडा दुखद जरुर है परन्तु सत्य

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  16. हम्म ...


    विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर देश के नेताओं के लिए दुआ कीजिये - ब्लॉग बुलेटिन आज विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम और पूरे ब्लॉग जगत की ओर से हम देश के नेताओं के लिए दुआ करते है ... आपकी यह पोस्ट भी इस प्रयास मे हमारा साथ दे रही है ... आपको सादर आभार !

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  17. वाह बेहतरीन अंदाज़ और हर बात की खूबसूरत व्याख्या बहुत बेहतरीन लेखन |

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  18. आज इस शब्द का अर्थ खोजते हुये आप सभी के विचार पढ़ कर मन उत्साहित हुआ,किन्तु भारतीय संस्कृति में आत्महत्या जैसी करनी का कभी किसी प्रथा द्वारा समर्थन नही किया गया। प्रयोपवेशन सम्भवतया सनातन संस्कृति में पुनर्जन्म की मान्यता से पल्लवित कोई रीति रही होगी। फिर वही हुआ कि रीति के पीछे का तर्क गौण हो गया और कमजोर मनःस्थिति के लोगो ने अपने कर्मो पर इसका आवरण ओढ़ लिया हो। जो भी अन्वेषण का विषय है।

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