रविवार, 1 जुलाई 2012

ओस फूलों पर नहीं हवा में है ........



अनदेखे अनजाने अनिश्चित 
अनोखे घटित अघटित की 
राह तकते , कुबेर सा 
अकूत खजाना संजोया ....
पल पल घटती छीजती जाती 
ज़िन्दगी के छोटे-बड़े लम्हों का 
कब मान किया अभिमान किया 
गुमान किया बस कच्ची पक्की 
घुमड़ती बातों का .....
प्यास थी एक बूँद की 
उस भटकी बूँद की चाह में 
उफनती गरजती सागर की 
नमकीन लहरों ने ,उस
नन्ही बूँद को खारा किया 
ओस फूलों पर नहीं हवा में है 
इसका भी हवाओं ने गुमान किया ........
                                          -निवेदिता 

22 टिप्‍पणियां:

  1. ओस फूलों पर नहीं हवा में है
    इसका भी हवाओं ने गुमान किया ........

    इस भीषण गर्मी में गुलाबी अहसास दिलाती आपकी कविता पसंद आई, विशेषकर अंतिम पंक्तियां. आभार !

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  2. बहुत सुन्दर..........
    भीगी भीगी....भावभीनी रचना....

    अनु

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  3. ओस फूलों पर नहीं हवा में है
    इसका भी हवाओं ने गुमान किया ........

    गहन और सुंदर अभिव्यक्ति ...!!

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  4. क्या बात है!!
    आपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 02-07-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-928 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

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  5. बहुत उम्दा सार्थक अभिव्यक्ति,,,सुंदर रचना,,,,

    MY RECENT POST...:चाय....

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत खूबसूरत रचना .... नम होती सी रचना

    जवाब देंहटाएं
  7. .. .बहुत सुन्दर है . बहुत बढ़िया प्रस्तुति .. .कृपया यहाँ भी पधारें -
    ram ram bhai

    रविवार, 1 जुलाई 2012
    कैसे होय भीति में प्रसव गोसाईं ?

    डरा सो मरा
    http://veerubhai1947.blogspot.com/

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  8. उफनती गरजती सागर की
    नमकीन लहरों ने ,उस
    नन्ही बूँद को खारा किया !!


    बूँद का क्या दोष था , खारापन हवाओं में है !

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  9. बहुत खुबसूरत भाव विभोर करती रचना..

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  10. ओस फूलों पर नहीं हवा में है
    इसका भी हवाओं ने गुमान किया .....bahut badhiya rachna sundar abhiwykati ..

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  11. क्या कहूँ और क्या नहीं .. सोच रहा हूँ इतनी अच्छी कविता जिसका हर शब्द कुछ न कुछ कह रहा है ..विशेष रूप से मुझे ये बहुत पसंद आई :

    गुमान किया बस कच्ची पक्की
    घुमड़ती बातों का .....

    .... बधाई स्वीकार करे और आपका आभार !
    कृपया मेरे ब्लोग्स पर आपका स्वागत है . आईये और अपनी बहुमूल्य राय से हमें अनुग्रहित करे.

    कविताओ के मन से

    कहानियो के मन से

    बस यूँ ही

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  12. ओस उठाए हवाओं में गुमान.... वाह!
    खूबसूरत रचना....
    सादर।

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  13. वाह बहुत ही सुन्दर......लाजवाब।

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  14. ओस फूलों पर नहीं हवा में है
    इसका भी हवाओं ने गुमान किया ....

    गहन भाव लिए बेहतरीन प्रस्‍तुति ...

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  15. mam sach kahu ye likhna ki bahut hi sundat,wah ye sab nahi likhna chahti kyunki aap bhi janti hai iska kya matlab hai :) mujhe kavita poori tarah se samjh nahi aai matlab agar koi nihit bhaav hai to samjh nahi aaya .aj buddhi zara kamjor pad rahi hai meri. fir padh rahi hu .par alag si hai ye kahungi

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  16. पहली बार आपका ब्लॉग देखा. बहुत ही खुबसूरत कलेक्सन है. सुन्दर लिखती हैं आप. ढेरों शुभकामना.

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  17. ओस फूलों पर नहीं हवा में है
    इसका भी हवाओं ने गुमान किया ........

    बेहतरीन प्रस्तुति.

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  18. बहुत सुन्दर भावभीनी रचना...
    सुन्दर अभिव्यक्ति...
    :-)

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  19. बूँद तो बेचारी पिस गई हवा और लहरों के बीच ... बेक़सूर ही ...

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