शनिवार, 9 जून 2012

अमावस का चाँद



आज .....
तलाशना चाहतीं हूँ
अमावस का चाँद 
ऐसा कुछ 
असम्भव भी नहीं 
काली अंधियारी रात 
भी पूनम के चाँद सी 
चमक किलकती है 
वो शून्य ,वो वीरानी 
वो रिक्ति की विरक्ति 
सब कुछ पा कर 
चुने गये पुष्पों सी 
खाली हुई शाखा भी 
आंचल तले खिले 
सुमन की सुरभि 
से गर्वित होती 
पूजन के थाल में 
सजी-संवरी 
अपनी पहचान 
कृष्णार्पण होते देख 
अपना सूनापन भूल 
बहक-बहल जाती है 
बताओ तो ऐसा भी 
कहाँ असम्भव चाहा 
बस अँधियारी रात में 
पूनम का चाँद ही चाहा 
इस अमावस की चांदनी 
तुम्हारे चेहरों में खिलती है 
तुम्हारी खिलखिलाहट की 
रेखाएं मेरे प्राण में बसती हैं ......
                            -निवेदिता 

28 टिप्‍पणियां:

  1. सच में बच्चों में ही तो प्राण बसते हैं माता पिता के... :-) सुन्दर कविता....

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. शेखर , बच्चे तो माता-पिता की श्वांसों के चलने का कारण होते हैं ..:)

      हटाएं
  2. कोमल भाव लिये
    बहूत सुंदर ममत्व भरी रचना...

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही ममता मई रचना ...आभार निवेदिता जी

    जवाब देंहटाएं
  4. हंसी और खिलखिलाहट हर अमावस को पूनम बना दे।

    जवाब देंहटाएं
  5. कविता दिल को छू गयी... आभार !
    ........अमावस का चाँद दिख जाये तो बताईयेगा !!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. मुझे तो अमावस का चाँद आज सुबह-सुबह ही दिख गया ... बच्चे घर आ गये हैं :))

      हटाएं
    2. अब समझ आया :)

      बेहतरीन कविता।

      भाई लोगों को हमारी हेलो :)

      सादर

      हटाएं
  6. प्यारी दुलारी रचना....
    और फोटो भी प्यारी दुलारी................
    :-)

    जवाब देंहटाएं
  7. इतने प्यारे बच्चों के साथ अमावस भी पूनम हो जाती है !
    शुभकामनायें !

    जवाब देंहटाएं
  8. बढिया है। आपके घर के दूसरे ब्लॉगर आपकी तारीफ़ करने में कंजूसी काहे करते हैं? :)

    जवाब देंहटाएं
  9. तुम्हारी खिलखिलाहट की
    रेखाएं मेरे प्राण में बसती हैं ......very nice....

    जवाब देंहटाएं
  10. अमावस में छिपी चाँदनी से सबको आस रहती है, हमें भी हैं...

    जवाब देंहटाएं
  11. ऐसी चांदनी ....हर घर आँगन पर छलके

    जवाब देंहटाएं
  12. क्या बात है!!
    आपके इस सुन्दर प्रविष्टि का लिंक दिनांक 11-06-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर भी होगा। सादर सूचनार्थ

    जवाब देंहटाएं
  13. तुम्हारी खिलखिलाहट की
    रेखाएं मेरे प्राण में बसती हैं .....

    सार्थक सृजन ...
    नेत्र सजल कर गयी आपकी रचना ...
    बहुत अच्छी लगी ...

    शुभकामनायें...चांदनी मे भिगो दिया मन ...

    जवाब देंहटाएं
  14. वाह ………एक खिलखिलाहट ही अमावस को पूनम बना देती है………सुन्दर प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  15. क्या सुंदर....
    बहुत प्यारी रचना....
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  16. anju ji ki baat se sahamt hoon ...aisi chandni har ghar par chalakti rahe... best wishes :-)

    जवाब देंहटाएं
  17. भावमय करते शब्‍दों का संगम ... बहुत ही बढिया।

    जवाब देंहटाएं
  18. वो रिक्ति की विरक्ति
    सब कुछ पा कर
    चुने गये पुष्पों सी
    खाली हुई शाखा भी
    आंचल तले खिले
    सुमन की सुरभि
    से गर्वित होती
    पूजन के थाल में
    सजी-संवरी
    अपनी पहचान

    bahut sunder.

    जवाब देंहटाएं
  19. बहुत सुन्दर भावमयी प्रस्तुति...

    जवाब देंहटाएं