शनिवार, 4 फ़रवरी 2012

सप्तपदी ........

       बचपन से ही "सात" अंक की महिमा सुनती आयी हूँ ..... "सात शैतानों की गुरु" तो कभी "सात जन्म याद दिलाने" की धमकी !ये तो अंतहीन श्रृंखला थी ।जब स्कूल पहुंचें तब भी इस अंक "सात" ने पीछा नहीं छोड़ा .... कभी सप्तऋषियों के नाम याद किया तो कभी सात तल और सात लोक याद किये ....
       सात लोक : भूलोक ,भुवर्लोक ,स्वर्लोक ,महर्लोक ,जनलोक ,तपलोक ,सत्यलोक 
       सात तल  : तल ,अतल ,तितल ,सुतल ,तलातल ,महातल ,सतातल
       सप्तऋषि  : अत्री ,वशिष्ठ ,कश्यप ,गौतम ,भारद्वाज ,विश्वामित्र ,जमदग्नि 
      इस प्रक्रिया में अक्सर बाल-मन ये सोचता कि इस गणना को सात से आगे क्यों नहीं ले जाया गया ,परन्तु इस जिज्ञासा का कहीं भी समाधान नहीं मिला । ऐसी अनेक जिज्ञासाओं के समाधान तलाशता वयस्क होता मन फिर से एक प्रश्न में उलझा विवाह के समय फेरे और कसमें भी सात ही क्यों होती हैं ,कम अथवा अधिक क्यों नहीं ? 
       इन प्रश्नों के चक्रव्यूह को अनदेखा करता मन अपने विवाह में भी अधिकतर लोगों की तरह रस्मों को निभाने में व्यस्त हो इन सात वचनों पर ध्यान न दे विवाह-बंधन में बंध गया ...:) अब इतने वर्षों के बाद सोचा इन कसमों और रस्मों को ... सप्तपदी को समझा जाए  .....
       हर फेरा एक तरह से एक नई शुरुआत है नये जीवन के प्रति ,एक नई प्रतिबद्धता है अपनी जिजिवषा के प्रति ! पहला फेरा हमारा प्रण होता है एक-दूसरे का सम्मान करने का । दूसरा फेरा लेने पर प्रण लेते हैं एक-दूसरे के मानसिक सम्बल को बढाने का। तीसरा फेरा एक-दूसरे के साथ धैर्यपूर्ण व्यवहार का संकल्प दिलाता है । चौथा फेरा निष्ठावान रहने का और पाँचवा फेरा साथ निभाने को संकल्पित करता है । छठा फेरा सम्वाद्पूर्ण जीवन यात्रा को समर्पित होता है । सातवाँ फेरा सुखद साहचर्य को प्रेरित करता है । इन फेरों का ये अर्थ मेरी अपनी सोच ही है क्योंकि इसके द्वारा इस "सात" के अंक की महत्ता को स्वीकृति मन दे ही देता है ।इन सात फेरों से ही प्रेरित हो कर सर्वथा अनजान भी एकमना हो जाते हैं ।
        अब आप सब ये सोच रहें होंगे कि आज इस सप्तपदी की याद क्यों आ गयी ! अरे भई ये कोई गूढ़ रहस्य नहीं है ... कल अर्थात तीन फरवरी को हमारे विवाह की वर्षगाँठ थी ...) देखिये अब एक नया प्रश्न आपको फिर परेशान कर रहा होगा कि ये पोस्ट एक दिन देर से क्यों ! चलिए आपकी सहायता भी हम ही कर देते हैं .... कभी शादी में गाये जाने वाले संस्कार-गीत सुने ही होंगे .... एक गीत बहुत सुना होगा ...."बड़ी दूर से आया बन्ना पर बन्नी न बोले ......( बीच में और भी बहुत सारी पंक्तियाँ हैं मै सीधे अंतिम पर पहुँच रही हूँ )..... जरा हो जाने दो शादी फिर बन्नी ही बोले ".....इसलिए बन्धुवर शादी तो कल हो गयी अब तो .......:)
            चलिए एक गीत भी सुन लीजिये .......
                                                                                                                        - निवेदिता 

22 टिप्‍पणियां:

  1. वैवाहिक वर्षगांठ की हार्दिक शुभकामनायें निवेदिता जी।

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  2. शादी की सालगिरह मुबारक हो आप दोनों को...अनेक शुभकामनाएँ.

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  3. सप्तपदी, हाँ कुछ कुछ याद आ रहा है..

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  4. शादी की सालगिरह मुबारक हो आप दोनों को...अनेक शुभकामनाएँ

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  5. पुनः बधाई...इतनी सुन्दर सप्तपदी को पुनः स्मृत कराने के लिए...

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  6. विवाह के वर्षगांठ की बधाईयां।
    सुंदर प्रस्‍तुतिकरण।

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  7. बधाईयां वर्षगांठ की |शुभकामनाएँ..

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  8. बधाई हो विवाह की वर्षगाँठ की ...
    इस सप्तपदी को दुबारा याद करवाने का शुक्रिया ...

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  9. शादी की सालगिराह बहुत-बहुत मुबारक हो आपको इस साथ 7 से हर चीज़ जुड़ी से है जैसा अकि आपनेखुद ही विवरण दिया है और हम भी सात समंदर पार ही बैठें हैं.... सार्थक एवं सुंदर आलेख ...

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  10. वैवाहिक वर्षगाँठ की शुभकामनायें.आप दोनों के जीवन में खुशियों की बर 7 हो.

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  11. सप्तपदी याद है भी याद दिलाती भी रहती हूँ, :) उन्हें ..

    आपको हार्दिक शुभकामनायें

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  12. हा हा हा.....बन्ने की तो बोलती शादी के दिन ही बन हो जाती है :-)

    बधाई आपको......शुक्रिया फेरों के बारे में बताने के लिए|

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  13. सप्तपदी याद रखना जीवट का काम है . हा हा . देर से ही सही सुखी वैवाहिक जीवन के लिए शुभकामनाये .

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  14. शादी की सालगिरह की ढेरों बधाइयाँ !

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