मंगलवार, 24 जनवरी 2012

कैसा मौसम आया .......


धूमिल होते बिन्दुओं ने 
अक्षर का आकार लिया 
अक्षर ने अक्षर से 
ऐसे हाथ मिलाया  
शब्दों का बोलता 
इक संसार बनाया 
जीवंत जज़्बातों ने 
स्वर की झंकार दी 
कैसे मौसम बदला 
पतझड़ जैसा आया 
शब्दों ने स्वर को  
बीच मंझदार छोड़ा 
कभी बोलते थे शब्द 
बातों की ,यादों की 
अनवरत लहराती 
नदिया बहती रहती 
खामोशी की पतवार ने 
स्वर - शब्दों की नाव 
डगमगा डूब जाने दिया 
कैसा मौसम आया ........
                      -निवेदिता 

23 टिप्‍पणियां:

  1. अलग शैली में लिखी सुन्दर रचना के लिए बधाई..

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  2. कुछ अलग सा........बढ़िया लगा |

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  3. अक्षर, शब्द, वाक्य, विचार....चिंतन....मनन....क्षरण...अक्षर...

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  4. आपके इस उत्‍कृष्‍ट लेखन के लिए आभार ।

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  5. शब्दों ने स्वर को
    बीच मंझदार छोड़ा

    निवेदिता जी इस बेहतरीन रचना के लिए बधाई स्वीकारें...

    नीरज

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  6. खामोशी की पतवार ने
    स्वर - शब्दों की नाव
    डगमगा डूब जाने दिया

    nice poem

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  7. स्वर शब्दों की नाव डुबोईए नहीं .. अनवरत कागज पर तैराइये ..सुन्दर अभिव्यक्ति

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  8. सुंदर रचना।

    गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं....

    जय हिंद...वंदे मातरम्।

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  9. बहुत सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति|
    गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें|

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  10. बहुत ही सटीक भाव..बहुत सुन्दर प्रस्तुति
    गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें|

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  11. sunder aaur sarthak prbastuti..aapke blog par pahli baar aana hua..accha laga..sadar badhayee aaur apne blog per amantran ke sath

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  12. चकाचक है । वैसे कविता लिखते समय तो मौसम सुहाना रहा होगा। :)

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