शुक्रवार, 8 जनवरी 2021

हौसला और विश्वास


हौसला और विश्वास 

मानव मन कह लीजिये या ज़िन्दगी के रंग ,बड़े ही विचित्र होते हैं । जब भी ज़िन्दगी ठोकर के रूप में फुरसत के दो पल देती है ,मन या तो व्यतीत हुए अतीत की जुगाली करता रह जाता है या फिर अनदेखे से भविष्य की चिंता ... वर्तमान की न तो बात करता है ,न ही विचार और ज़िन्दगी एक खाली पड़े जार सी रीती छोड़ चल देता है ,इस जहान से उस अनदेखे जहान की यात्रा पर । 


ऊपर बैठा हमारी जीवन डोर का नियंता ,अनगिनत पलों और भावनाओं की लचीली डोर में उलझा कर ,परन्तु एकदम साफ स्लेट जैसा मन दे कर भेजता है और हम अपने परिवेश के अनुसार उन लम्हों के गुण - अवगुण सोचे बिना ही ,ऊपर ला कर साँसें भरते चल पड़ते हैं एक अनजानी सी रिले रेस में । जब भी कहीं डोर में तनाव ला कर ,ज़िन्दगी हमारे क़दम रोकती है ,हम लड़खड़ा कर एकदम ही निराश हो अंधकूप में गिर कर छटपटाने लगते हैं और समय को कोसने लगते हैं । जबकि कितने भी बुरे दौर से गुज़र रही हो ज़िन्दगी ,चाहे एकदम नन्ही सी ही हो ,परन्तु एक आशा की किरण वो अपने दामन में सदैव संजोये रखती है । उस समय सिर्फ़ हम ही कुसूरवार होते हैं उस को न देख पाने के ।


कभी - कभी शारीरिक परेशानियाँ हमें घेर लेती हैं ,हम स्वयं को एकदम ही बेचारा सा अनुभव करते हैं और सोचते हैं कि हम कभी कुछ करना तो बहुत दूर की बात है, उठ भी नहीं सकेंगे परन्तु तभी अपने किसी बेहद प्रिय के आने की भनक पाते ही उसके स्वागत की तैयारियों में दिल - ओ - जाँ से जुट जाते हैं । उस समय की यदि कोई हमारी तस्वीर ले कर कुछ समय पहले की निराश दम तोड़ती तस्वीर से मिलाये तो लगेगा ही नहीं कि दोनों तसवीरें एक ही व्यक्ति की हैं । यदि इसमें कहीं कोई जादू है तो वह सिर्फ मनःस्थिति बदलने का ही है ।


इन सारी बातों का सिर्फ एक ही मतलब है कि हमारे जीवन में बहुत सारे रंग भरे हुए हैं ,आवश्यकता बस इतनी ही है कि अपनी ज़िन्दगी के सूरज और चाँद के सामने से ग्रहण भरे पलों के बीत जाने देने की जिजीविषा बनाये रखने का । 


एक बात और भी है यदि रगों में बहता है तो बी पॉजिटिव ( b +) सिर्फ एक ब्लड ग्रुप का नाम है ,परन्तु यदि वही दिल - दिमाग में बसेरा कर लें तो जीवन शैली बन कर ज़िन्दगी को इन्द्रधनुष बना देते हैं !

... निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'

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