अश्रु
तुम्हारे
या मेरे
दिल में हों
पलकों में
या आँखों से
चेहरे पर
कहीं भी हो
होते बोझिल
उनके साथ
कभी मैं
कभी तुम
और अक्सर
हम दोनों ही
बहते हुए
पीछे छूट
जाते हैं
लम्हे
बस इक
शून्य सा
छोड़ जाते हैं .......
-निवेदिता
bahte aanshu aur fir fir shunyata:)
जवाब देंहटाएंbahut khub!
हम दोनों ही
जवाब देंहटाएंबहते हुए
पीछे छूट
जाते हैं
लम्हे
बस इक
शून्य सा
छोड़ जाते हैं ..
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति // बेहतरीन रचना //
MY RECENT POST ....काव्यान्जलि ....:ऐसे रात गुजारी हमने.....
BAHUT SUNDR BHAVAVYAKTI .....
जवाब देंहटाएंआँसू बहने के पहले न जाने कितना कुछ बहता होगा।
जवाब देंहटाएंइस छोटी सी रचना में आपने पंक्तियों और शब्दों का ऐसा सुंदर उप(प्र)योग किया है कि आसुओं का सगर उमड़ पड़ा है। एक दम भींगा-भींगा सा अहसास हुआ है।
जवाब देंहटाएंभीगी भीगी सी रचना ...
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंभूल सुधार ---
जवाब देंहटाएंकल 07/05/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
शाश्वत प्रेम....बधाई
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंइन लम्हों के शून्य में यादों कों जोड़ने का प्रयास ही जीवन का निरंतर संघर्ष है ...
जवाब देंहटाएंभावनाओं का सुन्दर तालमेल सुन्दर रचना |
जवाब देंहटाएंअश्रु
जवाब देंहटाएंतुम्हारे
या मेरे
दिल में हों
पलकों में
या आँखों से
चेहरे पर
कहीं भी हो
होते बोझिल
उनके साथ
कभी मैं
कभी तुम ....
बहुत खूब...!
भावपूर्ण प्रस्तुति अंतस तक भिगो गयी.
जवाब देंहटाएंबधाई और शुक्रिया.
पहले आँसू और फिर शून्यता गहरे भाव...सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंBAHUT SUNDR BHAVAVYAKTI .....
जवाब देंहटाएंक्या बात है!
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