बुधवार, 29 जून 2011

ये ज़िन्दगी .......



अंकुरित  होते 
पल्लवित  होते  
सांस-सांस श्वांस भरते 
एक-एक कर 
यूँ डग भरते
कब कहाँसे 
बढ़ चली ज़िन्दगी............

सोचा क्या-क्या 
क्या-क्या अरमान सजाये 
वर्षों का  सोच-सोच 
परत दर परत  तह लगाए
पता नहीं कैसे 
हाथ छुडा चली ज़िन्दगी ...........



आसमान को छूने की 
हसरत लिए ,पंखों ने इक 
आस भरी परवाज़ भरी ,
ना जाने कहाँ से सूरज सा चमक 
पंख जला गयी ज़िंदगी ........... 
                                -निवेदिता 



23 टिप्‍पणियां:

  1. आसमान को छूने की
    हसरत लिए ,पंखों ने इक
    आस भरी परवाज़ भरी ,
    ना जाने कहाँ से सूरज सा चमक
    पंख जला गयी ज़िंदगी ...........

    वाह!बहुत ही अच्छी पंक्तियाँ हैं ये.

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. चलिए स्वर्ण तप कर ही निखरता है .....

    जवाब देंहटाएं
  3. इस भाव पूर्ण रचना के लिए बधाई स्वीकारें

    नीरज

    जवाब देंहटाएं
  4. नई सुबह फिर आएगी..बहुत भावपूर्ण रचना.

    जवाब देंहटाएं
  5. आसमान को छूने की
    हसरत लिए ,पंखों ने इक
    आस भरी परवाज़ भरी ,
    ना जाने कहाँ से सूरज सा चमक
    पंख जला गयी ज़िंदगी .... bahut hi gahre ehsaas

    जवाब देंहटाएं
  6. ओह! बहुत ही भावुक-सी जिंदगी की दास्ताँ सुनाती कविता है ये तो....

    जवाब देंहटाएं
  7. ज़िन्दगी को हल पर एक परीक्षा से गुज़रना पड़ता है।

    जवाब देंहटाएं
  8. नयी सुबह फिर आयेगी , उम्मीदों भरी सुन्दर प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  9. सोचा क्या-क्या
    क्या-क्या अरमान सजाये
    वर्षों का सोच-सोच
    परत दर परत तह लगाए

    बहुत सुन्दर रचना
    कभी हमारे ब्लॉग पर भी आगमन करे
    vikasgarg23.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  10. जिंदगी की तमाम घटनाओं की प्रस्तुति ,बधाई

    जवाब देंहटाएं
  11. भुत भाव पूर्ण रचना बधाई |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  12. जिन्दगी कहती रही,
    थपेड़े सहती रही।

    जवाब देंहटाएं
  13. गहन शब्‍दों के साथ बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  14. आसमान को छूने की
    हसरत लिए ,पंखों ने इक
    आस भरी परवाज़ भरी ,
    ना जाने कहाँ से सूरज सा चमक
    पंख जला गयी ज़िंदगी ...........

    aashaon ke tinke chun chun kar sapno ka mahal banaya tha, tufaan se tinke bikhar gaye.....

    aisa hi kuch bhav liye behtareen rachna....

    जवाब देंहटाएं
  15. न जाने क्या क्या रंग दिखाए जिंदगी !

    जवाब देंहटाएं
  16. उर के गहन भावों की सुन्दर प्रस्तुति ........
    जिंदगी की विद्रूपताओं का भावपूर्ण चित्रण....

    जवाब देंहटाएं
  17. निवेदिता जी सुन्दर कृति -पर मन में पंख लगे रहना चाहिए -उडान न रुके
    आसमान को छूने की
    हसरत लिए ,पंखों ने इक
    आस भरी परवाज़ भरी ,
    ना जाने कहाँ से सूरज सा चमक
    पंख जला गयी ज़िंदगी

    जवाब देंहटाएं
  18. जिंदगी हर बार कुछ न कुछ नया कर जाती है ... लाजवाब रचना है ...

    जवाब देंहटाएं
  19. आसमान को छूने की
    हसरत लिए ,पंखों ने इक
    आस भरी परवाज़ भरी ,
    ना जाने कहाँ से सूरज सा चमक
    पंख जला गयी ज़िंदगी ........

    बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति..ज़िंदगी जाने कितने खेल दिखाती है..

    जवाब देंहटाएं
  20. जलते हुए पंखों का सम्मान यहाँ कौन करे ...
    समय नहीं है ...
    शुभकामनायें आपको !

    जवाब देंहटाएं
  21. किधर से शुरू करून, किधर से ख़तम करून |
    जिन्दगी का फ़साना, कैसे तेरी नज़र करून |
    है ख्याल जिन्दगी का, कैसे मुनव्वर करून |
    मगरिब के जानिब खड़ा, कैसे तसव्वुर करून |

    जवाब देंहटाएं