रविवार, 12 जून 2011

अन्तिम यात्रा के साज श्रॄंगार..............



यात्रा कोई सी हो ,
या कहीं की भी हो ,
करनी ही पड़ जाती है ,
तैयारियाँ बहुत सारी !
जब छोटे थे खिलौने ,
सम्हालते ,थोड़े बड़े हुए 
तो थामा किताबों का हाथ ,
बस यूँ ही बदलते रहे ,
यात्रा के सरंजाम .....
अब जब अंतिम यात्रा की ,
करनी है तैयारी ,विचारों ने 
उठाया संशय का बवंडर !
सबसे पहले सोचा ,ये 
अर्थी के लिए सीढ़ी


या कहूँ बांस की टिकटी,
ये ही क्यों चाहिए .......
शायद इस जहाँ से 
उस जहाँ तक की 
दूरी है कुछ ज्यादा ...
क़दमों में ताकत भी 
कम ही बची होगी ,
परम सत्ता से मिलने को 
सत्कर्मों की सीढ़ी
की जरूरत भी होगी !
ये बेदाग़ सा कफ़न ,
क्या इसलिए कि ,
सारा कलुष ,सारा विद्वेष
यहीं छूट जाए ,साथ हो 
बस मन-प्राण निर्मल,
फूलों के श्रृंगार में ,
सुवासित हो सोलह श्रृंगार !

अँधेरे पथ में राह दिखाने ,
आगे-आगे बढ़ चले ,
ले अग्नि का सुगन्धित पात्र !
परम-धाम आ जाने पर ,
अंतिम स्नान क़रा ,
अंतिम-यात्रा की ,अंतिम 
धूल भी साफ़ कर दी !

सूर्य के अवसान से पहले ,
अग्नि-दान और कपाल-क्रिया ,
भी जल्दी कर ,लौट जाना ,
निभाने दुनिया के दस्तूर !
मैं तो उड़ चलूंगी धुंएँ के ,
बादल पर सवार ,पीछे 
छोड़ अनगिनत यादें ....
आज से सजाती हूँ ,
अपनी बकुचिया ,तुम तो 
सामान की तलाश में ,
हो जाओगे परेशान ......
चलो ,जाते-जाते इतना सा 
साथ और निभा जाऊँ ,
अपनी अंतिम पोटली बना ,
अपना जाना कुछ तो ,
सहज बना जाऊँ ..........
                         -निवेदिता  



  

17 टिप्‍पणियां:

  1. चलो ,जाते-जाते इतना सा
    साथ और निभा जाऊँ ,
    अपनी अंतिम पोटली बना ,
    अपना जाना कुछ तो ,
    सहज बना जाऊँ ..........


    गहन अर्थ ...
    मर्मस्पर्शी ...मन उद्वेलित करती हुई ....रिक्तता की और ले जाती हुई .रचना ...
    बहुत सुंदर शब्द और उनका अर्थ ...!!

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  2. मार्मिकता को दर्शाने में पूर्ण रूप से सफल रचना |
    बहुत ही सुदर रचना |

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  3. mann kahan kahan jata hai, kya kya sahejta hai ... kitna kuch kahta hai antim padaw tak

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  4. बहुत ज्यादा मार्मिक लिख दिया है आपने.

    सादर

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  5. निराशा जनक भाव मन को छू जाते हैं !
    शुभकामनायें !

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  6. गहन अर्थ..मन को झकझोरती बहुत मर्मस्पर्शी प्रस्तुति..रचना की भावनाएं अंतस को बहुत गहराई तक छू जाती हैं..आभार

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  7. न जाने क्यों मुझे इस रचना में एक कर्तव्य बोध नज़र आ रहा है ..लगता है कि आपका परिवार आप पर बहुत आश्रित है ..आपके बिना कोई काम सहजता से नहीं होता ..और इस लिए आप उनकी परेशानी के बारे में सोच कर अंतिम यात्रा की भी पोटली बना सहेज देना चाहती हैं ...

    रचना सीधे मर्म को छूती है ... भावमयी अभिव्यक्ति

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  8. Extremely emotional.... it's like scratching your heart.
    One can cry ocean after reading it.

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  9. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (13-6-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  10. विशेष मनोदशा को चित्रित करती सशक्त रचना।
    यह कविता चिंतन करने के लिए प्ररित करती है।

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  11. निवेदिता जी इस रचना के कुछ टिप्पणी करूँ इसके लिए शब्द नहीं ढूँढ पा रहा...बस इतना ही कि क्या नहीं है इसमें भावुक होने के लिए

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  12. बहुत खूब ... दिल से निकले हुयी बात ... बहुत भावपूर्ण ...

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