बताओ तो ज़रा .......
मुझको क्यों किया
हमेशा यूँ ही अनदेखा
फूलों को तो तुमने
देखा भी सराहा भी
तेज चलती हवाओं औ
कीटों से संरक्षित किया
पर ज़रा सोच कर देखो
अगर पत्ते न होते ,तब
तुम्हारे इन सुरभित ,
सुवर्णित फूलों का क्या होता
क्या काँटों से दामन बचा ,यूँ
इठला कर मुस्करा पाते .....
हम पत्तों में छुप कर ही ,
सुरक्षित हो शोभित होते ,
तुमने भी कभी न सराहा ,
न ही देख पाए पत्तों का
उपेक्षित-अनपेक्षित सौन्दर्य ,
अलग से तो मनी प्लांट सा ,
सजा भी लिया ,पर जहाँ भी
देखा दोनों को साथ - साथ ,
फूलों को सम्हाल ,पत्तों को
बस यूँ ही नोंच फेंक दिया ...
एक बार सोच भी लो ,कोई ऐसा
पौधा जिसमें कांटें हों ,फूल भी हो ,
बस पत्तों से हो वंचित ................
-निवेदिता
बहुत अच्छी यहाँ भी आकर अपनी राय दे
जवाब देंहटाएंblogjamavda.blogspot.com
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति ...!!हर वस्तु की अहमियत होती है ...सब अपनी जगह ,अपना वजूद चाहते हैं ...फूल भी पत्ते भी ...
जवाब देंहटाएंहर एक का अपना वजूद होता है पर जिसको पसंद किया जाता है उसकी ही अहमियत ज्यादा होती है ... एक सार्थक प्रश्न करती रचना ... यदि पत्ते नहीं होते तो फूलों का सौन्दर्य भी अच्छा नहीं लगता
जवाब देंहटाएंअलग से तो मनी प्लांट सा ,
जवाब देंहटाएंसजा भी लिया ,पर जहाँ भी
देखा दोनों को साथ - साथ ,
फूलों को सम्हाल ,पत्तों को
बस यूँ ही नोंच फेंक दिया ...
गहरी अभिव्यक्ति ..!
यथार्थ के क़रीब।
...........
जवाब देंहटाएंमुझको क्यों किया
हमेशा यूँ ही अनदेखा
फूलों को तो तुमने
देखा भी सराहा भी
तेज चलती हवाओं औ
कीटों से संरक्षित किया......
प्रतीकात्मक शैली का प्रयोग के साथ एक अनूठा प्रयास...... एक सुन्दर काव्य प्रस्तुति..... आभार निवेदिता जी.
पत्तों का पोषण मिलता है फूलों को। कैसे भूला जा सकता है?
जवाब देंहटाएंसच हैं पत्ते नीव की तरह होते हैं ... उन्हे कोई नही देखता ...
जवाब देंहटाएंbhawmayi rachna
जवाब देंहटाएंbhavvpur abhivakti....
जवाब देंहटाएंपत्तों से ही पौधों की खूबसूरती बढती है ,पोषण मिलता है , रक्षण होता है ...
जवाब देंहटाएंभला कैसे भूला जा सकता है इन्हें ...
भावुक प्रस्तुति !
गहरी अभिव्यक्ति .
जवाब देंहटाएंयथार्थ के नज़दीक लाती सुंदर प्रस्तुति.
बहुत अच्छे भाव , बहुत अच्छा विचार ...
जवाब देंहटाएंयथार्थ के नज़दीक लाती सुंदर प्रस्तुति|
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव.....
जवाब देंहटाएंएक सच्चा प्रश्न उठाती रचना...