गुरुवार, 30 मार्च 2023

लघुकथा : छलनी

 


छलनी

अधर अपनी बहकती साँसों को सम्हालता मुस्कुरा पड़ा,"अरे मित्र तुम तो अपने सही स्थान पर ही हो और मैं इतनी बातें सुन-सुन कर कब से परेशान हो रहा हूँ कि तुम्हारे साथ क्या अजूबा हो गया!"

कर्ण भी स्मित बिखेर उठा,"ऐसा भी क्या सुन लिया मित्र ... अच्छा ... अच्छा पहले स्वयं को स्थिर कर लो, तब इत्मीनान से बताना।"

अधर थिरक उठे,"मित्र ! मेरी निद्रा लोगों की फुसफुसाहट से टूटी कि दीवालों के कान होते हैं और मैं डर गया कि यदि यह सच हुआ तो तुमको कितनी परेशानी का सामना करना पड़ेगा ... अभी तो कभी केशों के पीछे जा कर, तो कभी हथेलियों की नन्ही सी गुफ़ा में छुप कर तुम अनजानी ठोकरों और तीखी आवाज़ों से बच जाते हो जबकि दीवाल पर तो कोई सुरक्षित ओट भी नहीं मिलेगी।"

कर्ण ठहाके लगाने लगा,"मेरे लिए परेशान मत होना मित्र ... वो सब उस प्रजाति के कर्ण की बातें कर रहे थे जो अपने साथ छलनी लिये रहते हैं और उनका ध्यान दूसरों की त्रुटियों एवं दूषण पर ही अधिक रहता है।"
निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'
लखनऊ

गुरुवार, 16 मार्च 2023

चाहत एक पल की ...

 जब लक्ष्मण बेहोश थे और सूर्योदय के पहले संजीवनी चाहिए थी, उस पल की एक चाहत ...


हे सूर्य देव! हम तुम्हारे वंशज
आस लिए मन मे विश्वास लिए
तुमसे न उगने की आस करें

चमक तुम्हारी खनक तुम्हारी
मन को आज बड़ा डराएगी
कालिमा रात्रि की लुभायेगी
एक दिन तुम देर से आओ
निशा को कुछ पल और दो

तुम जो आ जाओगे गगन पर
सूर्य डूब जाएगा अयोध्या के
अनुपम सूर्यवंशी के वंश का

आ जाने दो पवनपुत्र को
बूटी संजीवनी की आस लिये
राह तके हम विश्वास लिए

अरिदल के मर्दन के लिए
सतयुग के स्थापन के लिए
जनकसुता को सम्मान दिलाने
सौमित्र को नवजीवन दो

उर्मिला की आस न रूठे
राम की प्रतिज्ञा न टूटे
तटबंध विश्वास का बचाओ

अहा वो दिखे हनुमत प्यारे
तर्जनी संजीवनी साध उठाये
अब चमको तुम पूर्ण तेज से

पिनाक की टंकार सुनाओ
सूर्यध्वज जग में लहराओ
आओ रवि दिग्दिगंत चमकाओ!

निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'
लखनऊ

रविवार, 12 मार्च 2023

होली गीत ... भांग लयी थी घोंट

होली गीत

भांग लयी थी घोंट, सखियों होली में
होली में हाँ सखियों टोली में!

मेवा मिठाई थाल सजाए
पान औ मिश्री रच रच बनाये
भोले को चढ़ाई भांग अब की होली में
होली में हाँ सखियों टोली में!
भांग लयी ....

गुलाल अबीर में इत्र मिलाया
सांवरिया से दिल है लगाया
रंग भर लीनी पिचकारी अब की होली में
होली में हाँ सखियों टोली में!
भांग लयी ....

रेशमी लहंगा मन न भाया
सतरंगी चूनर परे सरकाया
मृगछाल बनाई पोशाक अब की होली में
होली में हाँ सखियों टोली में!
भांग लयी ....

भांग लयी थी घोंट, सखियों होली में
होली में हाँ सखियों टोली में!

निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'

लखनऊ


सोमवार, 6 मार्च 2023

पिया आए ... (होली लोकगीत)


वन वन खोजूँ, मैं रसिया बाग रे

पिया आए तो गाऊँ मैं फाग रे 

पिया आए तो गाऊँ मैं फाग रे!


अलबेली लगती तेरी नगरिया 

करमन की तो उलझी डगरिया

आशा की थामे इक गठरी 

भटक रही है एक गुजरिया

रच रच गाये मन के राग रे!

आये पिया ...


बरसे बदरिया जिया डर जाये

पवन झकोरा अँचरा उड़ाये

रात अँधेरी राह है धुँधली

सखी दियना जगाया बड़े अनुराग रे

मेरी किस्मत में लग न जाये दाग रे!

पिया आए ...


महावर की जो बेल बनाई

हाथन में मेहंदी है रचाई

सिमटी सकुचि जाए नथनिया

ईंगुर से भर लिया माँग रे

जागा जागा रे हमरा सुहाग रे!

पिया आए ...

निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'

लखनऊ