सुनो ना ........
सुनो ना ,आज इन हवाओं में ,
अजीब सी
सरगोशियाँ हैं ,
मेरी कमियाँ
बताते-बताते
फेहरिस्त
कुछ ज्यादा
बढ़ती गयी .......
पर ज़रा इनसे ,
पूछ कर देखो
जब मैं ना हूँगी ,
तब.........
मुझमें तो नहीं,
क्यों कि मैं
हूँगी ही नहीं
पर क्या मेरी कमी
कभी समझ पायेंगें .......
-निवेदिता
गहन विचारों से ओतप्रोत बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंhawaaon se kya puchna
जवाब देंहटाएंdekha hai jab ye sunte unko rote hue ...
खुद को स्थापित करने की चाह .....
जवाब देंहटाएंफिर पूछना क्या ज़माने से ...!!
khubsurat bhaavo se rachi rachna...
जवाब देंहटाएंबहुत गहन अनुभूति.
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति.
शुभ कामनाएं.
बिल्कुल नहीं जी।
जवाब देंहटाएंभावुक कर गई रचना।
बहुत बढ़िया कविता.
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत बडी बात पूछ ली आपने।
जवाब देंहटाएं---------
कौमार्य के प्रमाण पत्र की ज़रूरत?
ब्लॉग समीक्षा का 17वाँ एपीसोड।
पर क्या मेरी कमी
जवाब देंहटाएंकभी समझ पायेंगें .....यह प्रश्न अक्सर मन में उठता है ..अच्छी प्रस्तुति
कमी तो तभी पता लगती है...
जवाब देंहटाएंजब हम ही नहीं होंगे तो ....बहुत गहरी सोच
जवाब देंहटाएंमुझमें तो नहीं,
जवाब देंहटाएंक्यों कि मैं
हूँगी ही नहीं
पर क्या मेरी कमी
कभी समझ पायेंगें .......
bahut sunder kavita
padh kr man prasann huaa
badhai
rachana
तब.........
जवाब देंहटाएंमुझमें तो नहीं,
क्यों कि मैं
हूँगी ही नहीं
पर क्या मेरी कमी
कभी समझ पायेंगें .......
दार्शनिक भाव को सामने लाती पंक्तियाँ ....आपका आभार
पर क्या मेरी कमी
जवाब देंहटाएंकभी समझ पायेंगें ....
बहुत गूढ़ प्रश्न कर दिया आपने?
पर क्या मेरी कमी
जवाब देंहटाएंकभी समझ पायेंगें .......
इस प्रश्न का उत्तर ही शेष प्रश्न में बदलता है .