गुरुवार, 16 नवंबर 2023

यादों की महकी अमराई ...

विहस रही बदली वो पगली

यादों की महकी अमराई 

*

बैठ रहा पाटे पर वीरा 

मंगल तिलक लगाये बहना 

सुन आँखों से वो बोल रहा

तू ही है इस घर का गहना 

जब जब तू घर आ जाती है

आती खुशियाँ माँ मुस्काई।

*

मन तरसे अरु आँखें बरसे 

विधना ने क्यों रोकी राहें

नाम लिया है कुछ रस्मों का

रोक रखी वो फैली बाँहें

टीका छोटी से करवाना 

याद मुझे कर हँसना भाई।

*

बीती बात याद जो आये

भर भर जाये मेरी अँखियाँ 

इस बरस तू नहीं आयेगी

बता गयी हैं तेरी सखियाँ

एक बार तू आ जा बहना 

कर लेंगे हम लाड़ लड़ाई।

*

रीत निभाना याद दिलाते 

कदम ठिठक बढ़ने से जाये

संस्कारों ने रोक रखा है

चाह रही पर आ नै पाये

पढ़ चिट्ठी अपनी बहना की 

भाई की आँखें भर आई।

 निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'

लखनऊ

मंगलवार, 14 नवंबर 2023

अहान

नटनागर सा रुप सलोना

और मुरली की मीठी तान

छोटा सा अहान लाडला

नटखट मेरी जान!


पैनकेक मन को भाए

खाए न कोई मिष्ठान

तिरछी मिरछी चितवन है

मन को भाती मुस्कान!


देवों का स्तवन दुलारा

भोले का तू गान

मंदिर का तू दीप मेरे

खुशियों की दुकान!

*

वारी जाऊँ  राजदुलारे

तू है मेरी जान

सुन ले प्यारे नन्हे फरिश्ते

सबका तू अभिमान!

*

सबका है आशीष यही 

छू ले तू आसमान

दिग दिगन्त तक यूँ चमके

जैसे जग में दिनमान!

#निवेदिता_श्रीवास्तव_निवी 

#लखनऊ

शनिवार, 11 नवंबर 2023

अलबेला सपना

सजा रही अलबेला सपना 

मन आशा से दमक रहा। 

*

राह बहुत हमने थी देखी   

आन विराजो रघुनन्दन     

फूल चमेली बेला भाये       

लाये अगरु धूप चन्दन        

मंगल बेला अब है आई      

खुश हो घर गमक रहा है। 

*

रात अमावस की काली थी  

निशि शशि ने आस सजाई     

राह प्रकाशित करनी चाही  

चूनर तारों भर लाई       

सुमन मेघ बरसाने आये   

बन साक्षी अब फलक रहा। 

*

कन्धे पर हैं धनुष सजाये    

ओढ़ रखा है पीताम्बर       

सुन्दर छवि है जग भरमाये  

नाच रहे धरती अम्बर    

आज महोत्सव अवध मनाये  

दीवाली सा चमक रहा।

निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'

लखनऊ