जीवन ! तू कितना मधुर है सबके लिये
सच तू जीने योग्य है भोगने है !
तू आकर्षक है......
तू याद रखने योग्य है औरों के लिये
फ़िर क्यों तू ...
इतना रूठा हुआ सा अजनबी है मेरे लिये !
मैने तो ऐसा कुछ भी नहीं किया
जो तुझे चुभे ,न ही जान कर न अनजाने में!
ये तो मेरी ही बदकिस्मती है
तू जो इतना कठोर इतना शुष्क है मेरे प्रति !
मुझे दुख है , हो सकता है औरों को भी
हो मेरे दुख का दुख !
किन्तु तू क्यों इतना छलनामयी है
अफ़सोस है बेहद अफ़सोस !
मगर इस सबसे बड़ी त्रासदी है
इस अफ़सोस का अफ़सोस
और निरर्थक प्रतीक्षा
अनदेखे अनजाने पल और सपने की ! ! ! !
"...इस अफ़सोस का अफ़सोस
जवाब देंहटाएंऔर निरर्थक प्रतीक्षा
अनदेखे अनजाने पल और सपने की ! ! ! ! "
बहुत ही गहरे जज़्बात उड़ेल दिए हैं इस कविता में.लगता है भावना में डूब कर इन पंक्तियों को लिखा गया है.
सादर
भावपूर्ण रचना अभिव्यक्ति ... आप इतना अच्छा लिखती है.. की पढ़कर मैं भी भावों की दुनिया में खो जाता हूँ .... आभार
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