tag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post4126643265662101724..comments2024-01-07T14:43:29.542+05:30Comments on झरोख़ा: " जीवन "निवेदिता श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/17624652603897289696noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-56442937031831036772011-01-08T21:04:28.864+05:302011-01-08T21:04:28.864+05:30भावपूर्ण रचना अभिव्यक्ति ... आप इतना अच्छा लिखती ह...भावपूर्ण रचना अभिव्यक्ति ... आप इतना अच्छा लिखती है.. की पढ़कर मैं भी भावों की दुनिया में खो जाता हूँ .... आभारसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-48954624342676600072011-01-08T17:26:51.979+05:302011-01-08T17:26:51.979+05:30"...इस अफ़सोस का अफ़सोस
और निरर्थक प्रतीक..."...इस अफ़सोस का अफ़सोस<br />और निरर्थक प्रतीक्षा<br />अनदेखे अनजाने पल और सपने की ! ! ! ! "<br /><br />बहुत ही गहरे जज़्बात उड़ेल दिए हैं इस कविता में.लगता है भावना में डूब कर इन पंक्तियों को लिखा गया है.<br /><br />सादरYashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.com