अब बस ,
आज ......
आज ......
हाँ ! आज ही
कर दूंगी
कर दूंगी
तेरी विदाई ..........
यादों से भी ,
वादों से भी ...
अश्रुओं की
वेणी बनाऊं ,
वेणी बनाऊं ,
वेदना का
पलना............
पलना............
श्वांसों का
चंवर डोलाऊं,
चंवर डोलाऊं,
भीगे मन की
अमृत-वर्षा !
अमृत-वर्षा !
देखा !
कर ली
मैंने भी
सारी तैयारी ....
कर ली
मैंने भी
सारी तैयारी ....
तुझ से !
विलग ........
हो जाने की ..
विलग ........
हो जाने की ..
बढ़े क़दमों को
मंजिल मिले ,
मंजिल मिले ,
या
वृहत शून्य .............
वृहत शून्य .............
-निवेदिता
बहुत गहरे अर्थ समेटे हुए है आपकी यह कविता.
जवाब देंहटाएंसादर
बढ़े क़दमों को
जवाब देंहटाएंमंजिल मिले ,
या
वृहत शून्य .............
और निचे की तस्वीर ....
आर या पार ....
इसके लिए भी बहुत बड़ा हौसला चाहिए ......
बढ़े क़दमों को
जवाब देंहटाएंमंजिल मिले ,
या
वृहत शून्य ............
कभी कभी ज़िंदगी में कुछ फैसले बिना परिणाम की चिंता किये लेने होते हैं..बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
हौसले बुलंद रखिये -
जवाब देंहटाएंमंजिल ही मिलेगी ...!!
बहुत सुंदर रचना ....!!
बढ़े क़दमों को
जवाब देंहटाएंमंजिल मिले ,
या
सुन्दर रचना
very nice !!!
जवाब देंहटाएंmanzil na mile swaal hi nahi hai
जवाब देंहटाएंbahut khoobsurat roopak bandha hai.........beautiful...
जवाब देंहटाएंबढ़े क़दमों को
जवाब देंहटाएंमंजिल मिले ,
या
वृहत शून्य .............
अन्तर्मन की अनदेखी उडान. उत्तम प्रस्तुति...
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंGAHAN BHAVON KI SUNDAR ABHIVYAKTI.
जवाब देंहटाएंवृहद शून्य भी नहीं मिलता, कहीं त्रिशंकु सा लटका जीवन।
जवाब देंहटाएंशून्य में समाना बहुत कठिन है ...अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (30.04.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
जवाब देंहटाएंचर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
निवेदिता जी ...आपकी गहरे भावों वाली कविता बेहद पसंद आई. इसके लिए आपको बधाई.
जवाब देंहटाएंअच्छा लिखा है.. भाव बहुत गहरे हैं...
जवाब देंहटाएंदुनाली पर देखें
चलने की ख्वाहिश...
सुन्दर शब्द और भाव से सजी अद्भुत रचना...बधाई स्वीकारें...
जवाब देंहटाएंनीरज
मंजिलें आपको ढूंढ़ रही है बहुत अच्छी लगी , शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंसुन्दर शब्द और भाव से सजी रचना.
जवाब देंहटाएंवाह ......बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंश्वांसों का
जवाब देंहटाएंचंवर डोलाऊं,
भीगे मन की
अमृत-वर्षा !
बहुत ही कोमल भावनाओं में रची-बसी खूबसूरत रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई।
बढे क़दमों को मंजिल मिले या वृहत शून्य ...
जवाब देंहटाएंमगर कदम तो बढ़ा लिए हैं ...
साहस के क़दमों के आगे परिणाम की क्या चिंता ...
बहुत बढ़िया !
बहुत गहरे अर्थ समेटे हुए है आपकी अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंकाश हम कर पाते व्यथित मन को विदा.
और मैंने कहीं अपनी अर्जी लगाईं कि यार अब 'डब्बा' खाली करो तो,यह सिद्ध होता दिखता है कि आग्नेय बाण आज भी प्रचलन में है | (डब्बा बोले तो कंप्यूटर )
जवाब देंहटाएंपर कभी कभी जब मै पूरे मन से प्रयास कर उनकी कसौटी पर लगभग ५१% से अधिक खरा उतरता हूँ ,तब वे मुझे गुड ब्याय भी बोल देती हैं ,फिर भी मै उनके ब्लाग पर जाकर टिप्पणी नहीं करता हूँ | और जब वे इस बात पर गुस्सा करती हैं तब उन्हें उनके पासवर्ड की कसम दिला कर मना लेता हूँ |
इस सब के बारे में उनका कहना है कि दरअसल उन्होंने कभी quality से compromise नहीं किया है ,(मुझको छोड़ कर ) |
उनका ब्लाग ( झरोखा ) :nivedita-myspace.blogspot.com
:))
क्या वास्तव में ये अलगाव इतना सहज होगा।
जवाब देंहटाएंबहुत ही भावपूर्ण रचना..सुंदर और सशक्त अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई..
जवाब देंहटाएं"जो मंजिल पे पहुंचे दिखी और मंजिल ...
जवाब देंहटाएंये जीवन तो लगता सिफ़र(शून्य) का सफ़र है .....
सितारों से आगे अलग भी है दुनियां ....
नजर तो उठाओ उसी की कसर है....
ये विरक्ती क्यों !
आप सब मित्रों का आभार .........
जवाब देंहटाएं@हरकीरत’हीर’-
कभी ओबामा बनी
कभी बनी हंटरवाली
तब भी नारी है अबला बिचारी .....))