हमारे घर की छत पर
पंछी के जोड़े ने बसाया
एक प्यारा सा घोंसला !
जिस दिन चिड़ी-चिड़े को
मिला अण्डों रूपी वरदान ,
चिड़े को जाना पडा छोड़
घोंसले की सुखद छाँव !
चिड़ी सजगता से सन्नद्ध
आ पहुँची सहेजने उन
प्राणों से प्यारे अण्डों को !
इक दिन सुनी आवाज़
खुशी से चहचहाने की .......
चिड़ी ने सुनी आहट ,
उन अण्डों में जीवन
ऊर्जा आ जाने की !
कैसे ठुमकता -मचलता सा
समय आगे बढ़ता चला
कब किसी को आभास मिला !
चिड़ी की चोंच से
दाना चुगते-चुगते ,
उन नन्हे पंखों में भी
इक आस जगी
दुनिया देख आने की .....
चिड़ी ने भी माँ का था
फ़र्ज़ निभाया ,उड़ना सिखलाया,
सीखते-सीखते अचानक
नन्हें दूर गगन में उड़ चले ,
खोजने नित-नयी पहचान !
कभी कहीं दिख जाए कोई ....
चुनौती देती आकाश-गंगा !
चिड़ी मन ही मन मुदित होती
सोच न पायी अपना आने वाला
नित बढ़ता जाता रीतापन !
शायद यही है जीवन-चक्र ,
चिड़ी ने अपनी माँ को छोड़
खोजी इक नयी पहचान ,
समा गयी अपने आसमान में !
रीतापन कहते किसको ...........
अब जान गयी-पहचान गयी
उन नन्हे पंखों की परवाज़ ,
जीवन का दर्शन समझा गयी .........
-निवेदिता
बहुत ही खूबसूरत रचना,
जवाब देंहटाएं......दुर्गाष्टमी और रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं।
अब जान गयी-पहचान गयी
जवाब देंहटाएंउन नन्हे पंखों की परवाज़ ,
जीवन का दर्शन समझा गयी .......
क्या बात है ....!
बहुत बढ़िया लाइने हैं यह ! शुभकामनायें आपको !!
जीवन पल्लवित होते देखना कितना अच्छा लगता है।
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्यारी कविता.
जवाब देंहटाएंसादर
सुन्दर अभिव्यक्ति .. यही जीवन है
जवाब देंहटाएंjivan darshan dikhati rachna...:)
जवाब देंहटाएंbahut pyari si...:)
vaah bhavaatmak rachna
जवाब देंहटाएंbahut sundar
हमारे घर की छत पर
जवाब देंहटाएंपंछी के जोड़े ने बसाया
एक प्यारा सा घोंसला !
जिस दिन चिड़ी-चिड़े को
मिला अण्डों रूपी वरदान ,
चिड़े को जाना पडा छोड़
घोंसले की सुखद छाँव !
चिड़ी सजगता से सन्नद्ध
आ पहुँची सहेजने उन
प्राणों से प्यारे अण्डों को !
बहुत ही सुंदर विचारों और भावनाओं को समेटती कविता बधाई और शुभकामनाएं |
इस ब्लॉग की डिजाइन भी अलग और खूबसूरत है |
जवाब देंहटाएंsach..........yahi hai jeevan-chakra......uttam
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भावपूर्ण कविता |बधाई
जवाब देंहटाएंआशा
सुन्दर अभिव्यक्ति , अच्छे लेखन के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंhttp://www.avaneesh99.blogspot.com/