अनपेक्षित उपेक्षा या उपेक्षित अपेक्षा
देखा तो अक्षरों ने थी
थोड़ी जगह बदली
करते गए अर्थ का
यूं ही अनर्थ ............
बदलना ही था जरूरी (तो)
शब्दों ने बदलना था स्थान
ऐसे अर्श को फर्श औ
फर्श को अर्श में न बदलना पड़ता
अपेक्षाओं को झेलनी पडी उपेक्षा
उपेक्षा भी बन गयी अनपेक्षित ...
शायद ऐसे ही समझा हो उपेक्षा ने
कैसा लगता है यूं उपेक्षित होना !
शायद जरूरी था आइना दिखाना .......
शायद ऐसे ही समझा हो उपेक्षा ने
कैसा लगता है यूं उपेक्षित होना !
शायद जरूरी था आइना दिखाना .......
-निवेदिता
उपेक्षा और अपेक्षा दोनों शब्दों का अच्छा विश्लेषण
जवाब देंहटाएंउपेक्षा भी बन गयी अनपेक्षित ...
जवाब देंहटाएंशायद ऐसे ही समझा हो उपेक्षा ने
कैसा लगता है यूं उपेक्षित होना !
शायद जरूरी था आइना दिखाना .......adbhut vyakhyaa
सुन्दर रचना....सटीक विश्लेषण
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लिखा है आपने.
जवाब देंहटाएंब्लॉग की नयी थीम भी आकर्षक है.
सादर
अनपेक्षित उपेक्षा या उपेक्षित अपेक्षा
जवाब देंहटाएंदेखा तो अक्षरों ने थी
थोड़ी जगह बदली
करते गए अर्थ का
यूं ही अनर्थ ............
निवेदिता जी सुंदर और गहरे भावार्थ वाली कविता बधाई |
बेहतरीन शब्द रचना ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय निवेदिता जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
.........सुन्दर रचना
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंBahut khubsurat baat bari asaani se kah di aapne Nivedita.Nukte ke her fer se khuda zuda ho jata hai...chinta se agar bindu hat jaaye to chita ho jati hai...usi tarah apeksha aur upeksha par aapki kavyatmak tippni jeevant lagi. Badhayi.
जवाब देंहटाएंशब्दों में अक्षरों के इधर उधर होने से अर्थ का अनर्थ.....
जवाब देंहटाएंऐसे ही सोच में ज़रा सा इधर का उधर....और सब घचाम्म्पच्च....
अच्छा लेखन
स्थान बदलते ही अर्थ और सन्दर्भ दोनो बदल जाते हैं और साथ ही उनका प्रभाव भी बदल जाता है ! बहुत गहन रचना ! बधाई !
जवाब देंहटाएंउपेक्षा और अपेक्षा.
जवाब देंहटाएंGood analysis between the two.
बेहद सुन्दर रचना.........
जवाब देंहटाएंशुभकामनाओं सहित....
बधाई.....
एक आदर्श तुलनात्मक अध्यन प्रस्तुत किया है,अच्छा है.
जवाब देंहटाएंbahut sahi aur sundar.....
जवाब देंहटाएंअनपेक्षित उपेक्षा या उपेक्षित अपेक्षा
जवाब देंहटाएंदेखा तो अक्षरों ने थी
थोड़ी जगह बदली
करते गए अर्थ का
यूं ही अनर्थ ............
sundar rachna
तस्वीर बहुत कुछ कह रही है !
जवाब देंहटाएंशब्दों ने बदलना था स्थान
जवाब देंहटाएंऐसे अर्श को फर्श औ
फर्श को अर्श में न बदलना पड़ता
अपेक्षाओं को झेलनी पडी उपेक्षा ...
उम्दा प्रस्तुति ...
सुन्दर अभिव्यक्ति.
आपके ब्लॉग पर पहली बार आना हुआ.बहुत अच्छा लगा आपकी
जवाब देंहटाएंचतुराईपूर्ण सुन्दर अभिव्यक्ति को पढ़ कर.दिल से आभार.
मेरे ब्लॉग 'मनसा वाचा कर्मणा' पर आपका स्वागत है.रामजन्म पर आपको सादर बुलावा है.रामजन्म-आध्यात्मिक चिंतन -१ मेरी नई पोस्ट है.
आप सब विद्वजनों ने मेरी अपेक्षाओं की उपेक्षा नहीं की और सराहना दी ,इसके लिये आभारी हूं .....
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