रविवार, 17 अप्रैल 2011

PAIN-CENTER


दर्द ....उफ़ .......
ये कैसा एहसास 
दर्द ही दर्द को 
करता परिभाषित 
पीड़ा खुद ही पीड़ित !
दर्द का हद से गुजर जाना 
गर है दवा दर्द की ......
है अब  चाहत जा देखूं ,
कैसी है इंतिहा -ए-दर्द 
अब शायद मुक्ति पा जाऊं 
या मुक्त राह मिल जाए ..... 
                        -निवेदिता 

17 टिप्‍पणियां:

  1. "है अब चाहत जा देखूं ,
    कैसी है इंतिहा -ए-दर्द
    अब शायद मुक्ति पा जाऊं
    या मुक्त राह मिल जाए ....."

    बेहतरीन!!!!

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  2. दर्द से अपना नाता भी बहुत पुराना है...उधर ब्रुनो का गीत सुन रहे हैं और यहाँ पढ रहे है...पहली बार आना हुआ लेकिन बहुत सार्थक रहा..

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  3. अब शायद मुक्ति पा जाऊं
    या मुक्त राह मिल जाए ....."
    मार्मिक अभिव्यक्ति............

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  4. मार्मिक अभिव्यक्ति|धन्यवाद|

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  5. "dard ka hudd se guzarna hai dawa ho jana"...........bahut khoob

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  6. अच्छा लिखा है आपने। भाषा में प्रवाह है।
    मैने भी अपने ब्लाग पर एक लेख- कब तक धोखे और अत्याचार का शिकार होंगी महिलाएं- लिखा है। समय हो तो पढ़ें और टिप्पणी दें-
    http://www.ashokvichar.blogspot.com

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  7. मार्मिक अभिव्यक्ति...निवेदिता जी

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  8. मुझे बड़ा अजीब सा लगता है कि सभी ब्लोगरों का झुण्ड एक दूसरे की पीठ थपथपाने में लगा रहता है, एक दूसरे को पानी पर चढ़ाने में लगा रहता है झूटी सच्ची तारीफ करके अपने ब्लॉग का पता दे जाता है ..... मेरी नजर में कॉमेंट्स केवल पाठकों की तरफ से आने चाहिए
    और हर ब्लोगर को अपने पाठकों की क़द्र करना चाहिए ,
    .........अगर आपको बुरा लगा हो तो प्लीज मुझे माफ़ कर दें ....एक पाठक

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  9. अच्छी भावाभिव्यक्ति |बधाई निवेदिता जी

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  10. "अब शायद मुक्ति पा जाऊं
    या मुक्त राह मिल जाए ...."

    हार्दिक शुभकामनायें आपको !

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  11. आप सभी मित्रों का आभार !
    @रमेश जी ,बात आपकी सच है और मैं भी सहमत हूं ,परन्त हम ब्लागर ऐसी झूठी तारीफ़ नहीं करते हैं । पाठक पढ तो लेते हैं पर
    कमेन्ट करने में हिचक महसूस करते हैं ,शायद इसीलिये कम आते हैं ।

    @मीनक्षी जी ,बहुत आभार ब्रूनो के साथ आपने मुझे पढा,सच हौसला कुछ और बढ गया !

    आप सब का पुन: धन्यवाद ......

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  12. ye dard ki barish hai ya aag ka dariya,
    shayad ye aansun hi hain jeena ka jariya..

    bahut hi bhavpurn abhivyakti...aabhaar.

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