सरकते जाते हैं रेत की तरह
रंग छलकाते रंगीनी बढाते
वसंत की खुशबू की तरह
फगुनहट की आस दिलाते
सावन की रसधार
दीपों की कतार
सारे पर्व - त्यौहार
जीवन जीना सिखलाते
नन्हे तोतले बोल
बतलाते सब सार
जतलाते बार-बार
न कुछ बदला
न ही कुछ छूटा
नहीं कहीं पर रेत
है हर जगह बस
प्यार - प्यार और प्यार बेशुमार .........
बेहतरीन!!!
जवाब देंहटाएंसादर
आइये, वे सारे पल बटोर लेते हैं।
जवाब देंहटाएंbahut khoob
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना ....सुंदर आव्हान ... आओ बटोर ले वो सुंदर पल
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ......सुंदर कविता !
जवाब देंहटाएंबहुत खूब कहा
जवाब देंहटाएंहर जगह प्यार ही प्यार बिखरा है ,आओ मिलकर सब समेत लें|
बहुत खूब.. सुंदर रचना|
जवाब देंहटाएंचलिये प्यारे-प्यारे लम्हों को सहेजते हैं ,
जवाब देंहटाएंआभार !!!