रक्त-रंजित युवा
ये किसका लहू ,
बह रहा चंहु और है
किसी का सिर ,
तो किसी के पांव हैं
ये किसने थाम रखी,
एक दूजे की बांह है
ये किसके घर के चिराग
ये किसके सिर की छांव हैं
पास जा के देख तो लो ,
ये हमारे ही नौनिहाल हैं
कितने बहानों से निकाला ,
माँ के आंचल की छांव से
कभी साक्षात्कार तो कभी व्यापार
हर कदम पर ठोकर ,
हर निगाह में धोखा
फिर भी पाता , सबसे धिक्कार है
लहू में थरथराता ,ये राष्ट्र का अभिमान है
अवसरवादियों ,इन्हें अवसर दे के तो देखो
ये हमारी ही संतान हैं ,ये हमारी ही संतान हैं ..........
ये किसका लहू ,
बह रहा चंहु और है
किसी का सिर ,
तो किसी के पांव हैं
ये किसने थाम रखी,
एक दूजे की बांह है
ये किसके घर के चिराग
ये किसके सिर की छांव हैं
पास जा के देख तो लो ,
ये हमारे ही नौनिहाल हैं
कितने बहानों से निकाला ,
माँ के आंचल की छांव से
कभी साक्षात्कार तो कभी व्यापार
हर कदम पर ठोकर ,
हर निगाह में धोखा
फिर भी पाता , सबसे धिक्कार है
लहू में थरथराता ,ये राष्ट्र का अभिमान है
अवसरवादियों ,इन्हें अवसर दे के तो देखो
ये हमारी ही संतान हैं ,ये हमारी ही संतान हैं ..........
युवा शक्ति की अंतर्मन को पहचानने और समझने की आज बहुत आवश्यकता है.
जवाब देंहटाएंसार्थक आह्वान !
सादर
sandesh deti rachna ..
जवाब देंहटाएंबहुत खुब....बेहद सुंदर रचना।युवा शक्ति ही राष्ट्र का भविष्य है........जो हम है।सही लिखा आपने
जवाब देंहटाएंसाथ रहें तो विकास, नहीं तो विनाश।
जवाब देंहटाएंअवसरवादियों ,इन्हें अवसर दे के तो देखो
जवाब देंहटाएंये हमारी ही संतान हैं ,ये हमारी ही संतान हैं .....
विचारोत्तेजक रचना के लिए साधुवाद!
bilkul sahi likha hain ''''
जवाब देंहटाएंऊर्जा का उपयोग करना चाहिए ना की प्रयोग.....अनसुने और बिना इस्तेमाल हुए ऊर्जा से हुआ विनाश...
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