ये इत्तेफाक ही तो है ,जो अपना साथ है
ना मैं तुम्हे जानती ,न तुम मुझे पहचानते
मैं तो थी अपनी पढ़ाई में मस्त
तुम थे अपना कैरियर बनाने में व्यस्त
शायद था , तुम से मिलना, शाश्वत सत्य
सीप में मोती सा सहेज रखा
इसे ही कहते हैं जन्म -जन्मातर का साथ
आज जीवन की इस मधुरिम बेला में
लगता है सब तो पा लिया
प्यारे से दो चाँद -सितारे
आस्मां से मांग लाये
सच सज गया अपना मन -आंगन
शायद इस जीवन का ही दिया सबने आशीर्वाद
तभी तो मांगती हूँ जन्म -जन्म का साथ
इन तेईस वर्षों का साथ ,एक प्यारे सपने सा
सजा है स्वपनीली आखों में
तुम्हे भी मुबारक -मुझे भी मुबारक
ये ईश्वरीय वरदान सा अपना साथ .........
ना मैं तुम्हे जानती ,न तुम मुझे पहचानते
मैं तो थी अपनी पढ़ाई में मस्त
तुम थे अपना कैरियर बनाने में व्यस्त
शायद था , तुम से मिलना, शाश्वत सत्य
सीप में मोती सा सहेज रखा
इसे ही कहते हैं जन्म -जन्मातर का साथ
आज जीवन की इस मधुरिम बेला में
लगता है सब तो पा लिया
प्यारे से दो चाँद -सितारे
आस्मां से मांग लाये
सच सज गया अपना मन -आंगन
शायद इस जीवन का ही दिया सबने आशीर्वाद
तभी तो मांगती हूँ जन्म -जन्म का साथ
इन तेईस वर्षों का साथ ,एक प्यारे सपने सा
सजा है स्वपनीली आखों में
तुम्हे भी मुबारक -मुझे भी मुबारक
ये ईश्वरीय वरदान सा अपना साथ .........
आपको आपके प्रेम के मधुरिम पर्व पर ढेरों शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंआपका ये अनमोल साथ हमेशा यूँ ही बना रहे.
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुभकामनाएं.
सादर
प्रिय यशवन्त और प्रवीण पाण्डेय जी ,
जवाब देंहटाएंशुभकामनाओं के लिये बहुत -बहुत धन्यवाद ।
ईश्वर करे यह साथ हमेशा, आज की तरह के खुबसूरत एहसासों के साथ बना रहे ..यही कामना है ...आपका प्रत्येक शब्द ह्रदय के पास ठहर गया ..आपका अंदाज मन को भा गया ....आपका शुक्रिया
जवाब देंहटाएंशुभकामनाओं के लिये धन्यवाद ......
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