पर तुम शायद ,अंगूठी कहीं रख कर भूल गए
अपना साथ तो है अंगूठी जैसा ,
साथ रहते हैं तब उँगलियों में ,
साथ-साथ सजे रहते हैं ...........
जब कहीं चले जाते हो छोड़ कर ,
अपने होने के एहसास दे जाते हो ,
उँगलियों में निशाँ जैसे ............
अपना साथ तो शुभ शगुन सा
हाँ ! ये भी सच है कि छोड़ जाता है
कभी-कहीं कुछ निशां सा .........
पर वो निशां भी तो है प्यारा
मेहंदी सा शगुन भरा...............
ये मीना-नग-नगीने तो
दिखावे है या शायद झूठे हैं
एक सीधे-सच्चे धागे में
पिरोये हुए काले से मोती
यही तो सीधे-सच्चे हैं
चश्मे-बद-दूर !!!!!!
-निवेदिता
-निवेदिता
उनका साथ ही नगीना है।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत एहसास पिरो दिए हैं ..सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत खूबसूरत से एहसास ...बेहतरीन ।
जवाब देंहटाएंsundar ahsaas....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन.
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत ख़ूबसूरत अहसास..बहुत सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंआज 15- 07- 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
जवाब देंहटाएं...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
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lovely and beautifully written !!
जवाब देंहटाएंप्रेम का खूबसूरत एहसास ...
जवाब देंहटाएंएक ख़ूबसूरत अहसास..
जवाब देंहटाएंसुन्दर अहसासो की सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत अहसास..बहुत सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरती से एहसासों को आपने शब्दों में उतारा है आपने....
जवाब देंहटाएंसुंदर एहसास ,गहरे भाव.
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन रचना. निवेदिता जी,आप शब्दों को सहेज कर इस तरह पिरोती है जैसे फूलों की माला...... और यह माला सभी को भाती है. आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रतीकों से आपने अपनी बात कही है। यह रचना मुझे बहुत अच्छी लगी।
जवाब देंहटाएंसुंदर शब्द, उससे भी सुंदर प्रस्तुति,
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंमांगलिक प्रतीकों के माध्यम से सुंदरता से मनोभाव प्रकट किये हैं.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर .....प्रभावित करती बेहतरीन पंक्तियाँ ....
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत आपकी लेखनी का बेसब्री से इंतज़ार रहता है, शब्दों से मन झंझावत से भर जाता है यही तो है कलम का जादू बधाई
सुन्दर अहसासों की बानगी...
जवाब देंहटाएंखूबसूरत एहसासों से सजी खूबसूरत रचना दोस्त जी :)
जवाब देंहटाएंsunder rachna !!
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