हथेली से
खिसकती जाती
रेत सा
बढ़ चला
हठीला समय
अवसान की ओर....
पत्ते भी हैं
कुछ ज्यादा ही
जल्दी में
प्यास बुझाने को
सूर्य-किरणों
के आने के पहले ....
ओस की बूँदें
मुँह छुपाती
निगाहें चुरा
बचाना चाहती हैं
खुद को
पता नहीं किससे ....... .
इस तरह
चले जाना
कहीं खुद से
पलायन तो नहीं ....
-निवेदिता
ओस की बूँदें
जवाब देंहटाएंमुँह छुपाती
निगाहें चुरा
बचाना चाहती हैं
खुद को
पता नहीं किससे ....... .
bahut hi gahri abhivyakti.....
सतसैया के दोहरे ज्यों नाविक के तीर
जवाब देंहटाएंदेखन में छोटे लगें घाव करें गंभीर
behad prabhavshali abhivyakti
जवाब देंहटाएंबहुत गहन ... अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय निवेदिता जी
जवाब देंहटाएंजन्मदिन पर बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएँ।
बहुत ही सार्थक अभिवयक्ति...
जवाब देंहटाएंपंथ में विश्राम है, पलायन नहीं।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया कविता.
जवाब देंहटाएंजन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं.
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कल 20/07/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
इस तरह
जवाब देंहटाएंचले जाना
कहीं खुद से
पलायन तो नहीं ...
कुछ निराशा ..कुछ गहन भाव हैं आज आपकी रचना में ...!!
जन्मदिन की शुभकामनायें ...
जीवन में खुद से पलायन ही सबसे दुखद स्थिति है ...अच्छी रचना!!
जवाब देंहटाएंसालगिरह बहुत -बहुत मुबारक हो !!!
बहुत बढ़िया कविता.गहन अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंजन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं.
बहुत बढ़िया कविता.
जवाब देंहटाएंजन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं
कमाल की रचना...बधाई स्वीकारें...
जवाब देंहटाएंनीरज
अच्छे शब्दों में पिरोई हुई बढ़िया रचना...
जवाब देंहटाएंहमेशा की भांति यह बहुत बढ़िया कविता है... आभार!
जवाब देंहटाएंअनेकानेक शुभकामनायें.
कहीं खुद से
जवाब देंहटाएंपलायन तो नहीं ..……खूबसूरत रचना…।
प्रभावशाली अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंजन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं
nice poem
जवाब देंहटाएंबन्धुवर ,आप सब की शुभकामनाओं का धन्यवाद :)
जवाब देंहटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंकर्मों से भागना पलायन ही है ...
जवाब देंहटाएंशब्दों में बाँध लिया आपने ...
गहन भावार्थ से सजी एक सुंदर कविता आपकी काव्य कल्पना को नमन
जवाब देंहटाएंsunder shabdo me baandh liya man ki kashmokash ko.
जवाब देंहटाएंgehen abhivyakti.
palayan nahi...khud ke astitv ka bachaaw hai...
जवाब देंहटाएंबहुत सुद्नर कविता ... दिल को छूती हुई सी .. मन में बसती हुई सी .. बधाई
जवाब देंहटाएंआभार
विजय
कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html