सोमवार, 18 जुलाई 2011

कहीं पलायन तो नहीं .......



हथेली से 
खिसकती जाती 
रेत सा 
बढ़ चला 
हठीला समय 
अवसान की ओर....
पत्ते भी हैं 
कुछ ज्यादा ही 
जल्दी में 
प्यास बुझाने को  
सूर्य-किरणों 
के आने के पहले ....
ओस की बूँदें 
मुँह छुपाती 
निगाहें चुरा 
बचाना चाहती हैं 
खुद को 
पता नहीं किससे ....... .
इस तरह 
चले जाना 
कहीं खुद से 
पलायन तो नहीं ....
        -निवेदिता 

27 टिप्‍पणियां:

  1. ओस की बूँदें
    मुँह छुपाती
    निगाहें चुरा
    बचाना चाहती हैं
    खुद को
    पता नहीं किससे ....... .

    bahut hi gahri abhivyakti.....

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  2. सतसैया के दोहरे ज्यों नाविक के तीर
    देखन में छोटे लगें घाव करें गंभीर

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  3. ... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।

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  4. आदरणीय निवेदिता जी
    जन्मदिन पर बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएँ।

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  5. बहुत बढ़िया कविता.
    जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं.
    -----------------------
    कल 20/07/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  6. इस तरह
    चले जाना
    कहीं खुद से
    पलायन तो नहीं ...

    कुछ निराशा ..कुछ गहन भाव हैं आज आपकी रचना में ...!!

    जन्मदिन की शुभकामनायें ...

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  7. जीवन में खुद से पलायन ही सबसे दुखद स्थिति है ...अच्छी रचना!!
    सालगिरह बहुत -बहुत मुबारक हो !!!

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  8. बहुत बढ़िया कविता.गहन अभिव्यक्ति।
    जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं.

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  9. बहुत बढ़िया कविता.
    जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं

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  10. कमाल की रचना...बधाई स्वीकारें...
    नीरज

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  11. अच्छे शब्दों में पिरोई हुई बढ़िया रचना...

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  12. हमेशा की भांति यह बहुत बढ़िया कविता है... आभार!
    अनेकानेक शुभकामनायें.

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  13. कहीं खुद से
    पलायन तो नहीं ..……खूबसूरत रचना…।

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  14. प्रभावशाली अभिव्यक्ति.
    जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं

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  15. बन्धुवर ,आप सब की शुभकामनाओं का धन्यवाद :)

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  16. कर्मों से भागना पलायन ही है ...
    शब्दों में बाँध लिया आपने ...

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  17. गहन भावार्थ से सजी एक सुंदर कविता आपकी काव्य कल्पना को नमन

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  18. बहुत सुद्नर कविता ... दिल को छूती हुई सी .. मन में बसती हुई सी .. बधाई

    आभार

    विजय

    कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html

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