माँ दिन की चमक में
उस रोशनी से तीखे
नश्तर सरीखे शब्दों से
घायल मेरी आत्मा
तुम तक पहुँचने में
रात की राह देखती है
सहम जाती हूँ मैं भी
जब पाती हूँ तुम्हे भी
अनिश्चय के गलियारों में
ज़रा सोचो न माँ .....
क्या तुम न होगी घायल
जब मुझे कतरेंगे यूँ ही
छोटे-छोटे टुकड़ों में.....
जब माँ मुझे फेंक देंगे
किसी नाली या कूड़े में
मेरे साथ में ,सपने तो माँ
तुम्हारे भी फेंके जायेंगे ....
अभी जब मैं हूँ तुम में समाई
तब कैसे समझती हो पराई
एक बार बाहर आने तो दो
मैं नहीं कहीं किसी से कम
सबको ज़रा समझाने तो दो ...
बोलो न माँ ,अगर होती
तुम्हारी माँ भी तुम जैसी
तुम और तुम से आने वाली ये
सभ्यता कहाँ से आने पाती ...
विज्ञान बना अभिशाप मुझ सी
अजन्मी अनचाही बेटियों के लिए
हमें तो पाना था तुम्हारा दुलार
तुम्हारे कलेजे का संताप बन गए
हमारी पीड़ा ना कभी समझे हैंये पिता चाचा मामा काका
पर ज़रा उनसे पूछ तो लो
न होंगी बेटियाँ तो कैसे ये
पुरुष का पौरुष उनका मान
उनका जन्म कहाँ संभव होगा.....
अब हमें इतना तो समझो कि
हम दिन में तुमसे बात कर सकें
यूँ दहशत के साए में अनिश्चित सी
ज़िन्दगी कैसे जी पायें .....
मर-मर के तो बहुत जी लिए
अब तो ज़िंदा रहने के लिए जियें .......
-निवेदिता
बहुत सुंदर भाव
जवाब देंहटाएंबधाई
बेटियाँ बचानी होंगी।
जवाब देंहटाएंBahut sunder bhawpoorn prastuti.
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत सुन्दर शब्द रचना ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर शब्द रचना ....बेटी को बचाना ही होगा
जवाब देंहटाएंएक बार बाहर आने तो दो
जवाब देंहटाएंमैं नहीं कहीं किसी से कम
सबको ज़रा समझाने तो दो....
dil ke bhavon ko chhuti rachna.....
bahut hi sundar....
रचना के माध्यम से सटीक बात ... बधाई
जवाब देंहटाएंkanya ko bachana hoga ,sunder prastuti
जवाब देंहटाएंन होंगी बेटियाँ तो कैसे ये
जवाब देंहटाएंपुरुष का पौरुष उनका मान
ज्वलन्त समस्या और उसके कुछ प्रश्नों को एक सशक्त स्वर में उठाया है आपने इस कविता के माध्यम से। एक अच्छी प्रस्तुति।
ज्वलंत समस्या है इसलिए
जवाब देंहटाएं"मर-मर के तो बहुत जी लिए
अब तो ज़िंदा रहने के लिए जियें ..."
नितांत आवश्यक है - आभार
बहुत सुन्दर लिखा है आप ने |
जवाब देंहटाएंआपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें.
http://vikasgarg23.blogspot.com/
bhaut hi sunder post....
जवाब देंहटाएंbahut sundar...
जवाब देंहटाएंगहरे भावार्थ लिए एक खूबसूरत और उत्कृष्ट कविता बधाई निवेदिता जी
जवाब देंहटाएंओह!
जवाब देंहटाएंबहुत हृदयस्पर्शी और मार्मिक प्रस्तुति है आपकी.
दिल को कचोटती हुई
गहन भावों की अनुपम प्रस्तुति के लिए आभार.
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
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जवाब देंहटाएंबहुत सशक्त अभिव्यक्ति ..साथ ही मार्मिक ... बेटियों का रुदन मन को पिघला देता है
जवाब देंहटाएंbetiyon ko bachana hai aaj yah shapath len
जवाब देंहटाएंसुन्दर एहसास ..
जवाब देंहटाएंशानदार पोस्ट
गहरे भावार्थ लिए एक खूबसूरत और उत्कृष्ट कविता के लिये बधाई
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