शुक्रवार, 27 मई 2011

अरे ओ मन्दोदरी ...............

 अरे ओ मंदोदरी ,
कैसी है तू नारी !
प्रिय के उर में भी 
तू तो  ना बस पायी ,
इतिहास में भी 
कहाँ स्थान बना पायी,
मेनका सी रूपसी और 
मय दानव की पुत्री,
तेरे काम न रूप आया ,
न काम आयी मय की माया ,
सच बोलूँ तेरा जीवन ,बस 
कटा तलवार की तीखी धार पर ,
रावण सा वीर-विद्वान वर ,
सही चुनाव था तेरे मात-पिता का ,
पर मन को कब  कौन भाँप पाया ,
विद्वता के आवरण में थी ,
अभिमान की -गुमान की  
मदांधता की काली छाया....
पर सच पूछो तो ,तू 
इतनी भी नहीं असहाय 
ये तेरी ही छाया थी  
जिसने अशोक वन में 
सीता को दी सुरक्षित छाँव ,
अभिमानी रावण को भी बाँध दिया 
पटरानी की गहन गरिमा से ,
मर्यादा पुरुषोत्तम की पत्नी बन भी 
सीता ने पाया कई-कई वनवास ,
कहीं पर सीता से है ज्यादा भाग्यवान 
प्रशंसनीय है तू ,जो तन गयी प्राचीर सी ,
रावण का अहं भी न जिसको लांघ पाया !
अमर्यादित को भी मर्यादा में जकड़ा तुमने ,
कहीं पर तू है सीता से ज्यादा भाग्यवान 
कई नारियां आयी रावण के जीवन में 
पर तेरी - राजमहिषी की -
गरिमा को न कभी लांघ पायीं  
सच में मंदोदरी की की हो जिसने भी उपेक्षा ,
पर अंतस तेरा है क्षितिज का सबसे 
चमकदार और सशक्त जाज्वल्यमान  तारा ..........
अभिनन्दन ! हे मंदोदरी तेरा करते अभिनन्दन !!!
                                                       -निवेदिता  





  

13 टिप्‍पणियां:

  1. 'ये तेरी ही छाया थी

    जिसने अशोकवन में

    सीता को दी सुरक्षित छाँव '

    .................मंदोदरी का चरित्र चित्रण , बहुत ही भावपूर्ण .....सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलुओं से

    जवाब देंहटाएं
  2. very apt character sketch of Mandodari...
    i guess she and trizata were the only 2 good females in Ravan's clan.

    जवाब देंहटाएं
  3. कहीं पर सीता से है ज्यादा भाग्यवान
    प्रशंसनीय है तू ,जो तन गयी प्राचीर सी ,
    रावण का अहं भी न जिसको लांघ पाया !
    अमर्यादित को भी मर्यादा में जकड़ा तुमने ,
    कहीं पर तू है सीता से ज्यादा भाग्यवान
    sukshmta hoti hai tumhare vichaaron mein

    जवाब देंहटाएं
  4. अनछूए पहलू को उजागर किया है आपने .....श्रेष्ठ रचना

    जवाब देंहटाएं
  5. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत ही खूब लिखा है आपने मंदोदरी के बारे में.
    उत्कृष्ट लेखन.
    आभार.

    जवाब देंहटाएं
  7. आपके नारी चरित्रों का चित्रण एक नया ही परिप्रेक्ष्य लिये होते हैं।

    जवाब देंहटाएं
  8. कहीं पर तू है सीता से ज्यादा भाग्यवान
    कई नारियां आयी रावण के जीवन में
    पर तेरी - राजमहिषी की -
    गरिमा को न कभी लांघ पायीं
    सच में मंदोदरी की की हो जिसने भी उपेक्षा ,
    पर अंतस तेरा है क्षितिज का सबसे
    चमकदार और सशक्त जाज्वल्यमान तारा ..........
    अभिनन्दन ! हे मंदोदरी तेरा करते अभिनन्दन !!!
    एक नारी के वक्तित्व को नयी पहचान दी है आपने,बहुत सुंदर प्रस्तुति
    विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  9. एक अलग दृष्टिकोण से मंदोदरी के चरित्र का चित्रण...... बहुत सुंदर और प्रभावी रचना

    जवाब देंहटाएं
  10. मंदोदरी के सन्दर्भ में प्रभावी बढ़िया रचना ...

    जवाब देंहटाएं
  11. बिल्कुल सही बात कह दी है आपने, अपने समय की बहुत तेजोमयी नारी थी मंदोदरी :)

    जवाब देंहटाएं