जैसे चाँद-तारे उग गए अंचल में ,
सोचा दुनिया ही सारी वार दूँ,
अपनी आँखों के चमकते सितारे पर !
रंग-बिरंगे छोटे-बड़े गुब्बारे ,
या गोल-गोल लुढ़कती गेंद ,
ठुमकते कदमों में पहनाऊँ ,
झनकती-चमचमाती झांझर !
थोड़ा सा तो बड़ा हो ले ,
सजा दूँ अक्षरों की दुनिया ,
अच्छा शिक्षालय अच्छा भविष्य ,
कुछ भी न रह जाए अनदिया !
फिर सोचा उसके मन में तो झाँकू ,
वहां क्या-क्या सपने हैं जग रहे .......
अरे ! इस नन्ही दुनिया की
चाहत है ये कैसी अनोखी .........
इसे नहीं चाहिए कैसे भी
खिलौनों का सजीला भण्डार ,
ना ही अक्षरों की रंगीली बरसात ,
ना तो स्नेह ,ना ही बरसता प्यार ,
बस इक छोटी सी है चाह .........
पा जाए हमारा बस अथाह दुलार !
ज़रा सा दुलराना बन जाए संजीवनी ,
हर कठिन कंटकित पथ हो जाए सहज ,
इस दुलार से वो तन जाए - संवर जाए ,
अनुभव कर दुलराती छाँव ,दृढ़ हो जाए ,
दुनियावी सलीके खुद ही साथ हो लेंगे ,
इक नन्हे से पौधे को संवार कर देखो ,
कब वटवृक्ष बन प्रमुदित हो छा जाएगा '
कमज़ोर पड़ते कांपते क़दमों का ,
बड़ा प्यारा मजबूत सहारा बन जाएगा ,
चलो अब से ही सही इनकी चाहत पूरी तो करो ,
बस थोड़ा सा उनको दुलरा तो लो ..........
-निवेदिता
चाहत है ये कैसी अनोखी .........
इसे नहीं चाहिए कैसे भी
खिलौनों का सजीला भण्डार ,
ना ही अक्षरों की रंगीली बरसात ,
ना तो स्नेह ,ना ही बरसता प्यार ,
बस इक छोटी सी है चाह .........
पा जाए हमारा बस अथाह दुलार !
ज़रा सा दुलराना बन जाए संजीवनी ,
हर कठिन कंटकित पथ हो जाए सहज ,
इस दुलार से वो तन जाए - संवर जाए ,
अनुभव कर दुलराती छाँव ,दृढ़ हो जाए ,
दुनियावी सलीके खुद ही साथ हो लेंगे ,
इक नन्हे से पौधे को संवार कर देखो ,
कब वटवृक्ष बन प्रमुदित हो छा जाएगा '
कमज़ोर पड़ते कांपते क़दमों का ,
बड़ा प्यारा मजबूत सहारा बन जाएगा ,
चलो अब से ही सही इनकी चाहत पूरी तो करो ,
बस थोड़ा सा उनको दुलरा तो लो ..........
-निवेदिता
बहुत अच्छी लगी आपकी कविता
जवाब देंहटाएंजितनी कोमल और निश्छल बच्चे की मुस्कान होती है वैसी ही कोमल और मन को छूती हुई रचना
bahut acchi rachna ....mujhe mere baccho ka bacpan yaad aa gaya.....bahut khub
जवाब देंहटाएं@संजय शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएं@अन्जु जी मेरा लिखना सार्थक हो गया :-)
बहुत ही प्यारी कविता.
जवाब देंहटाएंसादर
खूबसूरत अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंज़रा सा दुलराना बन जाए संजीवनी ,
जवाब देंहटाएंहर कठिन कंटकित पथ हो जाए सहज ,
इस दुलार से वो तन जाए - संवर जाए ,... yahi dulaar uski dhaal hai
बच्चों पर केन्द्रित संसार हो जाये तो भविष्य बड़ा सुखमय हो जाये।
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव
जवाब देंहटाएंकोमल भावनाओं की अभिव्यक्ति ,बधाई
जवाब देंहटाएंकोमल अहसास और निश्छल प्रेम से ओतप्रोत सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंखूबसूरत अभिव्यक्ति| बधाई|
जवाब देंहटाएंअच्छा संदेश देती है यह कविता।
जवाब देंहटाएंवाकई !
जवाब देंहटाएंइन नन्हों को एक मज़बूत सहारा चाहिए जब तक वे आंधी के तेज थपेड़े सहने लायक न हो जाएँ ! बेहतर सोंच और दिशा है इस रचना में !शुभकामनायें !
बस इक छोटी सी है चाह .........
जवाब देंहटाएंपा जाए हमारा बस अथाह दुलार !
ज़रा सा दुलराना बन जाए संजीवनी ,
हर कठिन कंटकित पथ हो जाए सहज ,
इस दुलार से वो तन जाए - संवर जाए ,
अनुभव कर दुलराती छाँव ,दृढ़ हो जाए ,
दुनियावी सलीके खुद ही साथ हो लेंगे ,
इक नन्हे से पौधे को संवार कर देखो ,
एक उत्कृष्ट रचना है निवेदिताजी ......सच में इतना दुलार तो उनका अधिकार और हमारा कर्तव्य है ....
मां का दुलार बच्चे के भविष्य को संवार देती है।
जवाब देंहटाएंसार्थक संदेश देती सुंदर रचना।
सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
वात्सल्य में सराबोर रचना.....
जवाब देंहटाएंकोमल भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति .
निवेदिता जी सुन्दर वात्सल्य से परिपूर्ण रचना निम्न पंक्तियाँ बुढ़ापे का सहारा बनाती सुन्दर सन्देश दे गयीं बधाई हो -
जवाब देंहटाएंइक नन्हे से पौधे को संवार कर देखो ,
कब वटवृक्ष बन प्रमुदित हो छा जाएगा '
कमज़ोर पड़ते कांपते क़दमों का ,
बड़ा प्यारा मजबूत सहारा बन जाएगा ,
चलो अब से ही सही इनकी चाहत पूरी तो करो ,
बस थोड़ा सा उनको दुलरा तो लो .........
निवेदिता जी धन्यवाद आप का-
बेटियों के पैदा होने पर -स्वागत में आप आयीं और बेटियों के लिए आप ने लिखा हर्ष की बात है -काश सब लोग बेटियों के लिए ऐसे ही सोच रखें कोई फर्क न करें ??
ये मैंने बेटियों के लिए लिखा है से आप का मतलब क्या है ??
शुक्रिया आप का