एक नाजुक सा ख़याल,
यूँ ही रेशम सा लहरा गया ,
आज चलो थोड़ा ये चलन
कुछ बदल कर देख लें !
तुम्हारी जगह मैं थाम लूँ
तुम्हारे हाथों को .......
या फिर झाँक लूँ .....तुम्हारी
इन अधमुंदी आँखों में .......
चुरा ले जाऊँ ..........
उस सपनीली छाँव को,
बोलो या न बोलो ....
बस........रम जाऊँ
उन खामोश ........
जज़बातों की आंधी में ............
-निवेदिता
बहुत बढ़िया.
जवाब देंहटाएंसादर
very romantic...
जवाब देंहटाएंबहुत भावपूर्ण..
जवाब देंहटाएंसुंदर -कोमल -चंचल एहसास ...!!
जवाब देंहटाएंलुभावनी रचना ..!!
shayad ye pyaar hai...haan haan ye pyaar hai
जवाब देंहटाएंहर शब्द बहुत कुछ कहता हुआ, बेहतरीन अभिव्यक्ति के लिये बधाई के साथ शुभकामनायें ।
जवाब देंहटाएंखुबसुरत एहसास से सजी मनमोहक रचना। आभार।
जवाब देंहटाएंbhut khubsurat pyar aur bhut hi khubsurat ehsaas jinko apne rachna me likh diya..
जवाब देंहटाएंधैर्य प्रेम को सहज कर देता है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना.....
जवाब देंहटाएंIndeed a very gentle thought !!
जवाब देंहटाएंnice post.
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जवाब देंहटाएंNivedita ji , I'm lovin' the concept...
"आज चलो थोड़ा ये चलन
कुछ बदल कर देख लें !..."
प्यार इसी को तो कहते हैं । हमेशा उम्मीद ही करते रहने में क्या मज़ा...कभी बढ़कर हाथ भी थामना चाहिए। ...होठों पर धीरे से उँगलियाँ फिरा दी जाएँ तो ? ..Ever tried this ? ....Results are awesome....smiles...
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बहुत खूब ...शुभकामनायें आपको !
जवाब देंहटाएंखुबसुरत एहसास से सजी मनमोहक रचना। धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंखूबसूरत एहसास...
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