बुधवार, 25 मई 2011

एक नाजुक सा ख़याल ...........


एक नाजुक सा ख़याल,
यूँ ही रेशम सा लहरा गया ,
आज चलो थोड़ा ये चलन 
कुछ बदल कर देख लें !
तुम्हारी जगह मैं थाम लूँ
तुम्हारे हाथों को .......
या फिर झाँक लूँ .....तुम्हारी
इन अधमुंदी आँखों में .......
चुरा ले जाऊँ ..........
उस सपनीली छाँव को,
बोलो या न बोलो ....
बस........रम जाऊँ
उन खामोश ........
जज़बातों की आंधी में ............
                                    -निवेदिता 
     

15 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर -कोमल -चंचल एहसास ...!!
    लुभावनी रचना ..!!

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  2. हर शब्‍द बहुत कुछ कहता हुआ, बेहतरीन अभिव्‍यक्ति के लिये बधाई के साथ शुभकामनायें ।

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  3. खुबसुरत एहसास से सजी मनमोहक रचना। आभार।

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  4. bhut khubsurat pyar aur bhut hi khubsurat ehsaas jinko apne rachna me likh diya..

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  5. धैर्य प्रेम को सहज कर देता है।

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  6. .

    Nivedita ji , I'm lovin' the concept...

    "आज चलो थोड़ा ये चलन
    कुछ बदल कर देख लें !..."

    प्यार इसी को तो कहते हैं । हमेशा उम्मीद ही करते रहने में क्या मज़ा...कभी बढ़कर हाथ भी थामना चाहिए। ...होठों पर धीरे से उँगलियाँ फिरा दी जाएँ तो ? ..Ever tried this ? ....Results are awesome....smiles...

    .

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  7. बहुत खूब ...शुभकामनायें आपको !

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  8. खुबसुरत एहसास से सजी मनमोहक रचना। धन्यवाद|

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