"आंखों" के झरोखों से बाहर की दुनिया और "मन" के झरोखे से अपने अंदर की दुनिया देखती हूँ। बस और कुछ नहीं ।
सुन्दर कविता |
बहुत सुंदर ....
बहुत सुन्दर कविता
बढ़िया....सस्नेहअनु
झकास!
ओह ओह ...क्या बयानगी है चंद ही पंक्तियों में..
इतिहास की प्रस्तुति सुन्दर है ,बधाई मंजुल भटनागर
बेहतरीन :)सादर
बस छोटा सा जीवन, छोटी आशायें, छोटी आशायें..
वाह .. बेहतरीन
वाह! हास पर गहरा विश्वास है।
बहुत सुन्दर भाव लिए बेहतरीन रचना...:-)
haas aur itihaas ...kshanbhangur jeevan ...!!bahut sundar ...!!
आप गज़ब करती हो ., गागर में सागर भरती हो
लाजवाब
वाह जी क्या बात है बहुत सुन्दर।
सुन्दर कविता |
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता
जवाब देंहटाएंबढ़िया....
जवाब देंहटाएंसस्नेह
अनु
झकास!
जवाब देंहटाएंओह ओह ...क्या बयानगी है चंद ही पंक्तियों में..
जवाब देंहटाएंइतिहास की प्रस्तुति सुन्दर है ,बधाई मंजुल भटनागर
जवाब देंहटाएंबेहतरीन :)
जवाब देंहटाएंसादर
बस छोटा सा जीवन, छोटी आशायें, छोटी आशायें..
जवाब देंहटाएंवाह .. बेहतरीन
जवाब देंहटाएंवाह! हास पर गहरा विश्वास है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव लिए
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना...
:-)
haas aur itihaas ...kshanbhangur jeevan ...!!
जवाब देंहटाएंbahut sundar ...!!
आप गज़ब करती हो ., गागर में सागर भरती हो
जवाब देंहटाएंलाजवाब
जवाब देंहटाएंवाह जी क्या बात है बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएं