सोमवार, 3 सितंबर 2012

इक नया आसमान तलाशना है !!!



पाँव के नीचे सच की जमीं 
ख़्वाबों को नया आसमां दिया  
दिल की धडकनों में बस 
नित घटती श्वांसों में भी 
अलबेला जीवन सजा दिया
हाँ सच कहते हो कडवाहटें
हमेशा घेरा डाले  रहेंगी
प्रदूषित भी है हवा तो क्या
श्वांस लेना तो नहीं छोड़ देंगे
चुभते हैं कंकड़ पांवों में
पग बढाने का साहस
हमें ही तो करना पड़ेगा 
इन ज़हर बरसाती निगाहों 
कंटक सा चुभती बातों में ही 
इक नया आसमान तलाशना है !!!
                                     -निवेदिता 

16 टिप्‍पणियां:

  1. इन ज़हर बरसाती निगाहों
    कंटक सा चुभती बातों में ही
    इक नया आसमान तलाशना है !!!
    sarthak ..prarak aur sundar abhivyakti ...
    bahut achchha likha hai ...Nivedita ji ..

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  2. इक नया आसमान तलाशना ही होगा,,,,,,
    अहसासों की खुबशुरत अभिव्यक्ति,,,,निवेदिता जी,,

    RECENT POST-परिकल्पना सम्मान समारोह की झलकियाँ,

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  3. बहुत सुन्दर भाव...

    सस्नेह
    अनु

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  4. आसमां जो मिला है
    वही तो ख़ास है
    धरती से समझना है ...

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  5. मै बस एक पंक्ति लिखना चाहूँगा

    हमारे हौसलों का रेग ए सहरा पर असर देखो, अगर ठोकर लगा दें हम तो चशमे फूट जाते हैं.----- शेफ़ा कजगाँवी

    कर लीजिये मुट्ठी में आसमान . शुभकामनायें

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  6. सुन्दर भाव लिए
    प्रेरणादायी रचना....
    :-)

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  7. इन सबके बीच होकर भी इनसे ऊपर उठना है।

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  8. ये सब तो चलता रहता है जीवन में .. कड़वे पानी के बाद ही पानी की मिठास बड जाती है ...

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  9. "जब तक सास, तब तक आस". यही जीवन का सच है.

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  10. सुंदर भाव संयोजन कड़वाहट के बाद ही मिठास का एहसास होता है।

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  11. दूसरी ओर मुड़कर देखें तो आसमान खुला है..

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  12. हौसला हो आगे बढ़ने का तो हर मंजिल आसान है।

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