रविवार, 21 अगस्त 2011

भ्रष्टाचार .........रक्तबीज ...........



आजकल हर जगह सिर्फ एक ही विषय है चर्चा के लिए -भ्रष्टाचार ! ये ऐसा मुद्दा बन गया है कि इसके बारे में बहस करने वाले हर वर्ग के होते हैं | वो छोटे बच्चे भी होते हैं और युवा भी ,आम गृहस्थ भी और उत्तरदायित्वों को पूरा कर चुके वयोवृद्ध भी | मीडिया भी अपने दोनों रूपों में ,प्रिंट और दृश्य ,में इसको निरंतर चर्चा में बनाए हुए है | 

भ्रष्टाचार को अगर शाब्दिक रूप से समझे तो ये मात्र भ्रष्ट आचरण है  | समस्या ये है कि भ्रष्ट है क्या ? आचरण तो किसी का अपना व्यक्तित्त्व अथवा सोच को प्रतिरूप होता है | हर व्यक्ति का आचरण और विचार एक जैसा तो कभी हो ही नहीं सकता | तब क्या हम हर दूसरे व्यक्ति को भ्रष्ट कहें और समझें ? ऐसे तो सर्वत्र अराजकता व्याप जायेगी और किसी भी निश्चित हल तक तो हम कभी पहुँच ही नहीं पायेंगे और शायद आदिम-युग में वापस चले जायेंगे | 

भ्रष्टाचार इतना भयावना बन गया है कि उसको नए परिप्रेक्ष्य में देखने की जरूरत है | मेरे विचार से अगर हमें सही व्यक्ति से सही काम करवाने में अगर उस व्यक्ति को तथाकथित रिश्वत के द्वारा उपकृत करना पड़ता है ,तब उसके कृत्य को भ्रष्टाचार की संज्ञा देंगे | इस पातक में हम तब बराबर के गुनाहगार हैं जब हम अपने सही काम को अनियमित तरीके से करना चाहते हैं | हम किसी बिल का भुगतान करना चाहतें हैं पर हम पहले समय की कमी का रोना रोते हैं ,फिर अंतिम दिन लाचार से पहुँचते हैं और चाहते हैं कि जल्दी से सबसे पहले हमारा काम हो जाए | इस प्रक्रिया में परिचिय खोजते सही (?) स्थान पर पहुंच जाते हैं और कुछ ही पलों में अतिरिक्त भुगतान कर के विजयी भाव लिए चल देतें हैं | अब ऐसी परिस्थितियों में गलती व्यस्था की न होकर हमारी होती है | अगर हम अतिरिक्त भुगतान कर सकतें हैं तो किसी बेरोजगार से मदद लेकर उस को वही धन ,उसके पारिश्रमिक के रूप में दे कर बेरोजगारी की समस्या के समाधान में अपना छोटा सा योगदान दे सकतें हैं | अगर कोई कार्यालय रिश्वत न देने पर नियमानुसार काम न करके हमें बार-बार बुलाता है ,तब भी हम उस युवा का सहयोग ले कर उसको भी सम्मानपूर्वक जीने का अवसर देने में सहयोगी बन सकते हैं | अगर इस दिशा में सोचें तो हम अपने एक ही आचरण के द्वारा दो समस्याओं का समाधान कर पायेंगे और किये जा रहे सुधारों को संजो सकतें हैं |

भ्रष्टाचार की भयावहता को हम सिर्फ उस समय ही क्यों समझते हैं ,जब हम उसका शिकार बनाते हैं ? जब भी हमें अपने दायित्वों के निर्वहन करना होता है तब बहाने बना कर घरों में दुबक जाते हैं | चुनाव के समय ,कार्यालयों में अवकाश होने पर भी अपने मताधिकार का प्रयोग न करना अपना राजसी अधिकार समझते हैं | मत न देने का ही परिणाम है ,गलत व्यक्तियों का सर्वोच्च सत्ता बन जाना | जब हम सही व्यक्तियों का चुनाव ही नहीं करेंगे तब चुने हुए भ्रष्ट से सदाचरण की अपेक्षा करना दिवा-स्वप्न ही बने रहेंगे | आज हम सब भ्रष्टाचार-विरोधी मुहिम का हिस्सा बनना चाहते हैं पर अपने हिस्से का भ्रष्टाचार करके | हमारा यही आचरण ही इस रक्तबीज के  नष्ट न होने का कारण है !!!
   
    

17 टिप्‍पणियां:

  1. भ्रष्टाचार के घावों की पीड़ा आज व्यक्त हो रही है।

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  2. सच कहा है जब खुद पे बीतती है तो सच सामने आता है ... अब इस समस्या से निजात पा ही लेनी चाहिए ...

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  3. सही और विचार करने वाली बात.......

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  4. ्बहुत ही सटीक विश्लेषण किया है।

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  5. आज के संदर्भ में एक प्रेरक पोस्ट।

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  6. अच्छा लिखा है. शुभकामनायें

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  7. सच कहा आपने... हमें अपने आप को पहले रोकना होगा...
    सार्थक लेखन....
    “हर व्यक्ति का आचरण और विचार एक जैसा तो कभी हो ही नहीं सकता | तब क्या हम हर दूसरे व्यक्ति को भ्रष्ट कहें”...... यह वाक्य प्रश्न उठाता है कि क्या आचरण में भीड़ को भ्रष्टाचार कहा जा सकता है?

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  8. आज हालात यह हो गए हैं कि घूस देने वाले को अपराधी नहीं कह सकते क्योंकि आपकी तंत्र प्रणाली ऐसी बन गई है कि इसके बिना काम नहीं हो सकता। इसलिए जनता को भी अपराधबोध में घेरने की बजाय अच्छा हो कि तंत्र बदले।

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  9. बहुत ही सारगर्भित लेख जन्माष्टमी के अवसर पर शायद अन्ना ही नए अवतार हैं ऐसा लग रहा है ,जनसमूह का समर्थन औए सहयोग और विस्वास जैसा उनको मिल रहा है बस सबकी कोशिश और मेहनत से इस देश का कुछ उद्धार हो जाए बस यही कामना है /बहुत ही सही लिखा एक बूड़े आदमी जो निस्वार्थ भाव से एक बहुत जरुरी मुद्दे पर आवाज उठाई है उसे तीन मिनट में गिरफ्तार कर लिया और कलमाड़ी और कई BHRASHTAACHHARION को गिरफ्तार करने में तीन महीने लगा दिए ,यही है इनकी मर्दानगी /बिलकुल सही लिखा आपने प्रत्येक ब्यक्ति को अपनी तरफ से समर्थन देना चाहिए /भ्रष्टाचार अब ख़त्म होना ही चाहिए /क्योंकि ये जनहित के लिए बिल पास हो रहा है /अन्नाजी के माध्यम और उनके नेतृत्व में जनता जागी है /अब ये आन्दोलन सफल होना ही चाहिए / शानदार अभिब्यक्ति के लिए बधाई आपको /जन्माष्टमी की आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं /
    आप ब्लोगर्स मीट वीकली (५) के मंच पर आयें /और अपने विचारों से हमें अवगत कराएं /आप हिंदी की सेवा इसी तरह करते रहें यही कामना है /प्रत्येक सोमवार को होने वाले
    " http://hbfint.blogspot.com/2011/08/5-happy-janmashtami-happy-ramazan.html"ब्लोगर्स मीट वीकली मैं आप सादर आमंत्रित हैं /आभार /

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  10. जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें

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  11. गहन चिन्तनयुक्त प्रासंगिक लेख....
    जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें

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  12. बहुत सटीक और विषद विश्लेषण..

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  13. आज के संदर्भ में, बहुत सटीक

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  14. सही आकलन.
    यदि मीडिया और ब्लॉग जगत में अन्ना हजारे के समाचारों की एकरसता से ऊब गए हों तो मन को झकझोरने वाले मौलिक, विचारोत्तेजक विचार हेतु पढ़ें
    अन्ना हजारे के बहाने ...... आत्म मंथन http://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com/2011/08/blog-post_24.html

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