मन का रीतापन
नयनों में बस गया
शायद इसीलिये
अश्रुओं ने इक
बसेरा नया ढूँढ लिया !
रातों की कालिमा
काजल सी नयनों में
सपना बन छा गयी ,
टूटते तारों से सपने ,
चुभन दे जाते
मन के छालों सा
नित उगते
सूरज की लाली
दावानल बन सब
भस्मीभूत कर जाती !
तुला की धुरी सा
लचकता मन
संतुलन साधने में
डूबता गया
आशाओं उम्मीदों के
बाट रखे मन बावरा
डगमगाता रहा ........
-निवेदिता
मन, न जाने कहाँ से कहाँ ले जाता है जीवन की डगरिया।
जवाब देंहटाएंआपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 08-08-2011 को चर्चामंच http://charchamanch.blogspot.com/ पर सोमवासरीय चर्चा में भी होगी। सूचनार्थ
जवाब देंहटाएंमन......तू बाबरा ना होता,तो क्या होता.....
जवाब देंहटाएंसंतुलन साधने में
जवाब देंहटाएंडूबता गया
आशाओं उम्मीदों के
बाट रखे मन बावरा
डगमगाता रहा ........
sundar shabd chayan ,sarthak prayas ,sarhniya
hai /
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति मन की ....
जवाब देंहटाएंमन की मत पे मत चलियो, ये जीते जी मरवा देगा.... बहुत ही सुन्दर रचना....
जवाब देंहटाएंइसे पढ़कर ऐसा लगा मानों कवयित्री की अनुभूति, सोच, स्मृति और स्वप्न सब मिलकर काव्य का रूप धारण कर लिया हो। मान और विचार कहीं ऊपर से चिपकाए नहीं लगते।
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया।
जवाब देंहटाएंसादर
काश मन को समझा पाते ....शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत ही अच्छी रचना .. दिल को छूती हुई .. काश ...!!! ये मन भी बड़ा अजीब है ..
जवाब देंहटाएंआभार
विजय
कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html
bhaut hi khubsurat...
जवाब देंहटाएंbahut sundar likha hai
जवाब देंहटाएंnice and touching poem.........thanx:)
जवाब देंहटाएंवाह! सुन्दर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंसादर..
बहत ही सुन्दर अभिव्यक्ति ....
जवाब देंहटाएंमन की कश्मकश को सार्थक शब्द देती अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंman ke bawarepan per likhi anoothi rachanaa.badhaai aapko.
जवाब देंहटाएंhappy friendship day.
"ब्लोगर्स मीट वीकली {३}" के मंच पर सभी ब्लोगर्स को जोड़ने के लिए एक प्रयास किया गया है /आप वहां आइये और अपने विचारों से हमें अवगत कराइये/हमारी कामना है कि आप हिंदी की सेवा यूं ही करते रहें। सोमवार ०८/०८/११ को
ब्लॉगर्स मीट वीकली में आप सादर आमंत्रित हैं।
मन बावरा कैसे भटकता है ....
जवाब देंहटाएंसुन्दर !
bahut suder bhav liye saarthak prastuti.badhaai sweekaren.
जवाब देंहटाएं"ब्लोगर्स मीट वीकली {३}" के मंच पर सभी ब्लोगर्स को जोड़ने के लिए एक प्रयास किया गया है /आप वहां आइये और अपने विचारों से हमें अवगत कराइये/हमारी कामना है कि आप हिंदी की सेवा यूं ही करते रहें। सोमवार ०८/०८/११ को
ब्लॉगर्स मीट वीकली में आप सादर आमंत्रित हैं।
बहुत खूबसूरत अंदाज़ में पेश की गई है पोस्ट......मित्रता दिवस की शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंएक बार फिर निवेदिता जी खूबसूरत कृति के लिए बधाई . मन कसमसाहट को उकेरती रचना
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर निवेदिता जी, बधाई,
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
तुला की धुरी सा
जवाब देंहटाएंलचकता मन
संतुलन साधने में
डूबता गया
आशाओं उम्मीदों के
बाट रखे मन बावरा
डगमगाता रहा ........
अति सुन्दर बात कही आपने
मन की माने कौन ... और मन भी तो भटकता रहता है इधर उधर ...
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