मंगलवार, 4 अगस्त 2020

नवगीत : यादों की महकी अमराई


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विहस रही बदली वो पगली
यादों की महकी अमराई 
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बैठ रहा पाटे पर वीरा 
मंगल तिलक लगाये बहना 
सुन आँखों से वो बोल रहा
तू ही है इस घर का गहना 
जब जब तू घर आ जाती है
आती खुशियाँ माँ मुस्काई 
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मन तरसे अरु आँखें बरसे 
विधना ने क्यों रोकी राहें
नाम लिया है कुछ रस्मों का
रोक रखी वो फैली बाँहें
टीका छोटी से करवाना 
याद मुझे कर हँसना भाई
*
बीती बात याद जो आये
भर भर जाये मेरी अँखियाँ 
इस बरस तू नहीं आयेगी
बता गयी हैं तेरी सखियाँ
एक बार तू आ जा बहना 
कर लेंगे हम लाड़ लड़ाई 
*
रीत निभाना याद दिलाते 
कदम ठिठक बढ़ने से जाये
संस्कारों ने रोक रखा है
चाह रही पर आ नै पाये
पढ़ चिट्ठी अपनी बहना की 
भाई की आँखें भर आई
      ... निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'


3 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर।
    राम मन्दिर के शिलान्यास की बधाई हो।

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  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 6.8.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
    http://charchamanch.blogspot.com
    धन्यवाद
    दिलबागसिंह विर्क

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