शनिवार, 4 अगस्त 2012

"स्पेस"

"स्पेस" ये शब्द सुनते ही सबसे पहले आँखों के सामने अन्तरिक्ष की ही याद आती है ,जबकि बातें हम अक्सर दूसरी स्पेस की करते हैं | कभी अपने लिए स्पेस चाहते हैं , तो कभी दूसरों को स्पेस देना चाहते हैं | ये स्पेस मिल पाना तभी सम्भव हो सकता है जब हम एक - दूसरे की निजता का सम्मान करें | अन्तरिक्ष में भी तो इतने सारे ग्रह - उपग्रह , कभी प्रकृति निर्मित तो कभी मानव निर्मित , इसीलिये अपनी दमक और पहचान कायम रख पाते हैं क्योंकि उनके मध्य एक सम्मानजनक स्पेस बनी रहती है | 

पर कभी - कभी ये स्पेस का होना भी आत्मघाती हो जाता है | अतिसंवेदनशीलता  के कारण दूसरों का मान रखते - रखते सम्बन्धों में दूरी कुछ अधिक ही बढ़ जाती है और सम्वेदनाएँ भी रास्ता खोजती रह जाती हैं | रिश्तों का मान रखने वाली स्पेस मानवनिर्मित होती है अत: इसका कोई निश्चित मानक नहीं हो सकता है | जो बाते एक को साधारण लगतीं हैं ,वही दूसरे को असहज बना जाती हैं | 

हमें दूसरों को स्पेस अवश्य देना चाहिए क्योंकि कभी - कभी थोड़ा समय व्यक्ति खुद अपने साथ भी रहना चाहता है ,परन्तु इस बात का ध्यान सदैव रखना चाहिए कि स्पेस इतनी बढ़ भी न जाए कि बीच में बहुत से अनाहूत लोग और बातें आ जाएँ | किसी की भी निजता का मान रखते समय अतिसंवेदनशीलता के स्थान पर अतिरिक्त समवेदनशील होना चाहिए |

                                                        "स्पेस रेखा अति सांकरी 
                                                               स्पेस   बढ़े   दुःख   होय 
                                                                     दो  कदम  अलग  चलें 
                                                                              तीजे पे बाँह गह लए "
                                                                                                -निवेदिता 

16 टिप्‍पणियां:

  1. साधारण से शब्दों में रिश्तों को बहुत बढिया से परिभाषित कर दिया ....स्पेस ....क्यों कि हर रिश्ता कुछ कहता हैं ...

    जवाब देंहटाएं
  2. क्‍या बात है ... बहुत ही बढिया ...

    जवाब देंहटाएं
  3. bahut sach!!
    har rishte ki yahi garima hai ki ek duri honi chahiye.. par itni duri bhi nahi honi chahiye ki ham ek dusre ko bhul jayen....

    जवाब देंहटाएं
  4. रिश्तों में इतना स्पेस तो रखना ही चाहिए,ज्यादा पास होने पर कडुआहट आ जाती है,,,,

    RECENT POST ...: रक्षा का बंधन,,,,

    जवाब देंहटाएं
  5. एक कम चर्चा की गई विषय पर आपने स्पष्ट विचार रखे हैं। अच्छा लगा।

    जवाब देंहटाएं
  6. स्पेस देने लेने का अर्थ ये नहीं कि हम अलग हैं , स्नेह नहीं , विश्वास नहीं .... एक एक सांस के लिए भी स्पेस ज़रूरी है

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बिलकुल सही कहा दी , एक साँस जाती है स्पेस बना कर तभी दूसरी साँस आ पाती है .... सादर !

      हटाएं
  7. किसी की भी निजता का मान रखते समय अतिसंवेदनशीलता के स्थान पर अतिरिक्त समवेदनशील होना चाहिए |

    ....बहुत सच कहा है...

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुन्दर स्पेस | गहराई भरी हुयी |

    जवाब देंहटाएं
  9. बिलकुल सच कहा है आपने......सबकी भावनाएं अलग अलग हो सकती है.....दोहा भी सटीक जोड़ा है :-)

    जवाब देंहटाएं
  10. स्पेस स्पेस तक रहना चाहिए ... दूरी नहीं बननी चाहिए ... गहरी बात कही है ...

    जवाब देंहटाएं
  11. यदि रिश्तों मे मिठास कायम रखना है तो जीवन में यह स्पेस बहुत ज़रूरी है। सार्थक रचना

    जवाब देंहटाएं