हर बार अपने जन्म से साथ पले-बढ़े भाइयों के लिए ही दुआ करती थी ,पर इस बार अपने ब्लॉग-जगत में मिले छोटे भाई "मुकेश" के लिए निकले ये बेसाख्ता भाव हैं जिसको मैं सिर्फ लिखती गईं हूँ और एक बार भी संशोधन की निगाह से नहीं पढ़ा ,क्योंकि ये सिर्फ एक दुआ है बस और कुछ नहीं .....
बहुत प्यारा और दुलारा सा है ये बंधन
जब भाई के दिल में बसा हो इतना सारा प्यार
बहना क्यों न दें तुम पे सारी खुशियाँ वार
अब तक पाया था सिर्फ जन्म से मिले
भाइयों का दुलार ,पर अब क्या कहूँ
मन से मिले भाई का पा कर प्यारा सा दुलार
आँखें ही नहीं दिल भी भर आया बार-बार
बस एक ही दुआ निकलती है
सारे जहां की खुशियाँ डाले रहे डेरा तुम्हारे द्वार !!!
- -निवेदिता
बहुत ही भावमय करती यह पंक्तियां ...
जवाब देंहटाएंइस स्नेहिल पर्व की अनंत मंगल कामनाएं ...
हमारी भी शुभकामनाएं...
जवाब देंहटाएं:) निवेदिता दी !! ये शब्द भी क्यूं इतने चमत्कारी होते हैं.... कुछ भी कोई भी कितने भी दूर से .... आपको एक दम से बहुत अपना बना देता है | ऐसा ही कुछ तुम्हारे शब्द के जादू से अभिभूत हूँ!! इस अनजाने से लोगो में बहुत से लोग बहुत करीबी हो जाते हैं... और "बहन" ये तो रिश्ता ही ऐसा है, जो मन में आते ही सुकून दे जाता है....!! धन्यवाद् तो नहीं कहूँगा.... पर अच्छा लगा...:)
जवाब देंहटाएंवाह ..
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ..
प्यार बना रहे यश्ूं ही ..
आप दोनो को रक्षाबंधन की शुभकामनाएं !!
रक्षाबन्धन पर बहुतही सुन्दर पंक्तियाँ..
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंरक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ!
सादर
बहुत -बहुत सुन्दर प्यारी रचना...
जवाब देंहटाएंराखी पर्व की हार्दिक बधाई..
शुभकामनाये:-)
ये भावनाएं यूँ ही बनी रहें !
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें !
भाई बहन को जोड़ता पर्व , बहन की दुआएं , भाई का साथ - अनोखा है
जवाब देंहटाएंइस बंधन की पावनता असीम है
बहन की दुआएं , भाई का साथ, शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंरक्षाबंधन के पावन पर बहुत पर बहुत ही सुंदर कविता...
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