डोली और अर्थी
एक सी होती हैं
दोनों को उठाने के लिए
कंधे चार ही चाहिए
दोनों पर खिलते फूलों की
अनवरत बरसात चाहिए
दोनों के पीछे चलती हैं
जानी अनजानी शक्लें ,
दोनों को ही भिगोती
कईयों की अश्रुधार है !
पर हाँ !
एक कदम चलते ही
अलग -अलग होती
दोनों की किस्मत है
डोली पर बरसे फूलों में
छिपी - छिपी सी दिखती
नवजीवन की आस है
डोली के आँसुओं में
फिर मिलने की आस है !
अर्थी पर बिछे फूल जतलाते
अर्थी पर बिछे फूल जतलाते
जीवन की क्षणभंगुरता
अनजाने अनिवार्य सफर की
यही तो अनचाही शुरुआत है !
दोनों को ही मंजिल
मिलनी है अनदेखी
एक में सृष्टि की आस है
दूजी हर तरफ से निराश है ........
-निवेदिता
Bahut darshanik panktiyan Nivedita ji.....achchhi kavita.
जवाब देंहटाएंPoonam
बहुत सुन्दर निवेदिता जी...
जवाब देंहटाएंसस्नेह
अनु
अब तो शादी के बाद छोरा-छोरी दोनो उड़ते पंछी हो गये हैं। न डोली उठाने वालों के रहे न डोली के स्वागत करने वालों के।
जवाब देंहटाएंनिवेदिता जी,
जवाब देंहटाएंआपकी ये रचना पढ़ कर मुझे एक गीत याद आया ये बहुत ही पोपुलर है और मर्मस्पर्शी भी डोली और अर्थी पर ही है. अगर संभव हुआ तो फिर उसको डालती हूँ. वाकई दोनों की बहुत सी चीजें समान है बस कुछ पल छोड़ कर. बहुत अच्छा लिखा आपने. आभार !
रेखा जी ,शुक्रिया आपका ....गीत के बोल बताइए मैं भी खोजने का प्रयास करूंगी .....-:)
हटाएंयशोदा जी ,शुक्रिया आपका ....-:)
जवाब देंहटाएंबस भाव अलग अलग होते हैं .... डोली की सजीवता में सपने होते हैं , अर्थी में कोई स्पंदन नहीं
जवाब देंहटाएंदी , बिलकुल सही कहा आपने ...... सादर !
हटाएंबहुत ही सुन्दर और गहन.....पर अब डोली के ज़माने तो ख़त्म हो गए हैं ।
जवाब देंहटाएंभाव और कल्पना में गज़ब की शक्ति है ... देखने और समझने का फर्क रहता है बस ... जीवन और मौत ... कितना बारीक फर्क है दोनों में ...
जवाब देंहटाएंगहन भाव लिए सशक्त प्रस्तुति ...आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंजीवन के जुदा अवसरों को आपने शब्दों का ऐसा जामा पहनाया है कि मन भावुक हो उठा।
जवाब देंहटाएंदोनों में समानता के साथ भाव अलग अलग है,,,भावुक करती रचना,,,,
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,,
RECENT POST...: शहीदों की याद में,,
HRIDAYSPARSHI KAVITA...
जवाब देंहटाएंबहुत काशमसाहट भरी कविता। दो अवसरों के दोनों भावों मे बंधी संतुलित रचना
जवाब देंहटाएंबहुत ही मर्मस्पर्शी कविता
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत ही सुन्दर गहन और मर्मस्पर्शी कविता
जवाब देंहटाएंऔरों पर निर्भरता सदा ही घातक होती है..
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