शनिवार, 18 अगस्त 2012

रुमाल ...


 रुमाल ......
एक छोटा सा 
टुकडा है कपड़े का
कभी रूखा - रुखा बन 
लकीरें खींच जाता है 
कभी कोमल कपोत सा 
सहला तन्द्रिल कर जाता है .... 

रुमाल ......
एक आस है 
रुक्षता को दुलरा 
अनपेक्षित को छुपा 
सब साफ़ कर पाने की 

रुमाल .....
सबसे खूबसूरत है 
आँखों के नीचे जुड़े 
प्रिय के हाथों के रूप में 
वेदना झरने के पहले 
समा जाए उस अंजुली में .......
                           -निवेदिता 

14 टिप्‍पणियां:

  1. रुमाल ......
    एक आस है .......sundar ehsaas sundar abhiwykti

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह...
    क्या सब्जेक्ट है....आम सोच से परे..
    बहुत बढ़िया..
    सस्नेह
    अनु

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर
    अलग और प्यारी रचना.....
    :-)

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत खूब,,,,लाजबाब अभिव्यक्ति,,,बधाई निवेदिता जी,
    RECENT POST...: शहीदों की याद में,,

    जवाब देंहटाएं
  5. रूमाल को भी व्‍यक्‍ि‍तत्‍व केवल कवि‍हृदय ही प्रदान कर सकता है.

    जवाब देंहटाएं
  6. रूमाल की भी अपनी विशेषता है ... बहुत बढ़िया

    जवाब देंहटाएं
  7. एक छोटे से रुमाल में कितनी विशेषताएं है !
    रोचक !

    जवाब देंहटाएं
  8. सबका अपना एक परिचय होता है और उसको परिभाषित करने पर पता चलता है कि गहनता से उसको आपने समझ है. एक खूबसूरत कविता के लिए आभार !

    जवाब देंहटाएं
  9. एक साधारण से रुमाल की विशेषता को बहुत ही खूबसूरती से शब्दों में ढाला है आपने ....

    जवाब देंहटाएं