रुमाल ......
एक छोटा सा
टुकडा है कपड़े का
कभी रूखा - रुखा बन
लकीरें खींच जाता है
कभी कोमल कपोत सा
सहला तन्द्रिल कर जाता है ....
रुमाल ......
एक आस है
रुक्षता को दुलरा
अनपेक्षित को छुपा
सब साफ़ कर पाने की
रुमाल .....
सबसे खूबसूरत है
आँखों के नीचे जुड़े
प्रिय के हाथों के रूप में
वेदना झरने के पहले
समा जाए उस अंजुली में .......
-निवेदिता
रुमाल ......
जवाब देंहटाएंएक आस है .......sundar ehsaas sundar abhiwykti
वाह...
जवाब देंहटाएंक्या सब्जेक्ट है....आम सोच से परे..
बहुत बढ़िया..
सस्नेह
अनु
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंअलग और प्यारी रचना.....
:-)
बहुत खूब,,,,लाजबाब अभिव्यक्ति,,,बधाई निवेदिता जी,
जवाब देंहटाएंRECENT POST...: शहीदों की याद में,,
sundar ahasas...wah
जवाब देंहटाएंरूमाल को भी व्यक्ितत्व केवल कविहृदय ही प्रदान कर सकता है.
जवाब देंहटाएंरूमाल की भी अपनी विशेषता है ... बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंएक छोटे से रुमाल में कितनी विशेषताएं है !
जवाब देंहटाएंरोचक !
बहुत सुन्दर सृजन !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव....
जवाब देंहटाएंसब समेट लेता है, स्वेद और अश्रु..
जवाब देंहटाएंसबका अपना एक परिचय होता है और उसको परिभाषित करने पर पता चलता है कि गहनता से उसको आपने समझ है. एक खूबसूरत कविता के लिए आभार !
जवाब देंहटाएंएक साधारण से रुमाल की विशेषता को बहुत ही खूबसूरती से शब्दों में ढाला है आपने ....
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