गुरुवार, 22 दिसंबर 2011

पलकों की ओस .........



अश्रु  पुकार क्यों खारा करूँ
मैं तो हूँ पलकों की ओस
ऐसे-कैसे अपना परिचय दूँ
यही मनन करूँ बारम्बार
ये लरजते हुए आँसू सिर्फ
स्वाद ही नहीं बेस्वाद करते
अच्छी चमकीली राहों को
धुंधलेपन का अभिशाप
लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड
विरासत में दे जाते हैं !
ओस तो सुरभित सुमन में
रिश्तों की नमी को सहेजे
अतिशीतलता से बचा जाती
हर आती-जाती हवा के तेज
ठिठुरते थपेड़ों से सामने
टिके रह जाने की जिजिविषा
सहेज सहलाती बलखाती
वैसे भी कुछ तो बदलाव
हर दिन सौगात में ले आता
बस अश्रुओं को बदल दिया
पलकों की ओस से ........
                        -निवेदिता

25 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना |

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  2. न जाने दुखों की कितनी धुंध से जमकर बनती है पलकों की ओस। अत्यन्त प्रभावी रचना।

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  3. ठिठुरते थपेड़ों से सामने
    टिके रह जाने की जिजिविषा
    सहेज सहलाती बलखाती
    वैसे भी कुछ तो बदलाव
    हर दिन सौगात में ले आता
    बस अश्रुओं को बदल दिया
    पलकों की ओस से ........
    bahut achhi abhivyakti

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  4. गहरे अहसास।
    सुंदर प्रस्‍तुति।

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  5. वाह ....बहुत ही बढि़या लिखा है आपने ।

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  6. आपकी कविता में संवेदना की असीमित गहराई होती है !
    आभार !

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  7. बहुत गहरी संवेदना किये हुए रचना...बधाई

    नीरज

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  8. वैसे भी कुछ तो बदलाव
    हर दिन सौगात में ले आता
    बस अश्रुओं को बदल दिया
    पलकों की ओस से ........

    khoobsoorat...

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  9. संवेदनशील रचना अभिवयक्ति.....

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  10. आंसूंओं की बात की ... बड़े सलीके से...

    कायल कर लिया इस कविता ने.

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  11. गहरे एहसास और भावों से भरी कविता.

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  12. बस आंसुओं को नहीं बदला ... दर्द के एहसास को सुनहरे सपनों में बदल दिया ...

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  13. बहुत सुंदर रचना,...अच्छी प्रस्तुती,
    क्रिसमस की बहुत२ शुभकामनाए.....

    मेरे पोस्ट के लिए--"काव्यान्जलि"--बेटी और पेड़-- मे click करे

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  14. वैसे भी कुछ तो बदलाव
    हर दिन सौगात में ले आता
    बस अश्रुओं को बदल दिया
    पलकों की ओस से ........

    ...बहुत खूब! लाज़वाब अहसास और उनकी सुंदर अभिव्यक्ति..

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  15. बस अश्रुओं को बदल दिया
    पलकों की ओस से ........
    वाह क्या बात है बहुत ही खूबसूरत बात और जज़्बात लजवाब...

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