झिलमिलाते दीयों की
टिमटिमाती उजास में
खिलखिलाते ये पल
आंखमिचौनी सी खेलते
कुछ अनदिखा दिखला
यादों से पर्दा हटा जाते
सकुचाये कदमों में
झांझर सा झनक जाते
डगर थी नई नई सी
कदमों की बनी लीक को
सहेजती अनुगामिनी बन
चलना सहज था ........
न तो वक्त बदला न मौसम
शायद बदले थे हालात
अनुगामिनी बने चलते जाना
रोकता प्रवहित गति तुम्हारी
बस एक कदम ही तो बढ़ाना था
अनुगामिनी से सहगामिनी बन
हाथों का दो से चार बन जाना
एक अनोखा विस्तार दे गया
चलो कुछ हम भी बाँट लें
अर्धनारीश्वर को साकार करें
तुम बाती बन राह दिखलाओ
मैं दीप की ऊष्मा बन बस
प्राणवायु जगाती रहूँ ..........
-निवेदिता
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तुम बाती बन राह दिखलाओ
जवाब देंहटाएंमैं दिए की ऊष्मा बन बस
प्राणवायु जगाती रहूँ ........
बहुत बढि़या ... दीपोत्सव पर्व की शुभकामनाएं ..
bahut khoob....
जवाब देंहटाएंwww.poeticprakash.com
बहुत खूबसूरत विचार्……………आपको और आपके परिवार को दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंनयी परिकल्पना घर के संदर्भों में।
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएँ!
जवाब देंहटाएंदीया और बाती का सुन्दर संयोग!
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति है आपकी निवेदिता जी.
जवाब देंहटाएंअनुपम भावों का संचार करती है हृदय में.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
दीपावली के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ.
समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर भी आईयेगा.
सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंदीप पर्व की शुभकामनाएं......
सुन्दर रचना ... गहन विचार और भाव ...
जवाब देंहटाएंदीपावली की शुभकामनायें
बहुत खूब ..
जवाब देंहटाएं.. आपको दीपोत्सव की शुभकामनाएं !!
प्यार हर दिल में पला करता है,
जवाब देंहटाएंस्नेह गीतों में ढ़ला करता है,
रोशनी दुनिया को देने के लिए,
दीप हर रंग में जला करता है।
प्रकाशोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!!
अनुपम रचना ... सुन्दर चित्र खींचा है रचना के द्वारा ..
जवाब देंहटाएंआपको दीपावली की मंगल कामनाएं ...
अर्द्धनारीश्वर की सुंदर व्याख्या।
जवाब देंहटाएंकविता के भाव पर तो बस यहा कहा जा सकता है....आमीन।
मेरी बधाई स्वीकार करें।
दीप पर्व के शेष दिनो की ढेर सारी शुभकामनाएं।
beautiful writing..
जवाब देंहटाएंhappy diwali !!!