क्या खोजा ,क्या पाया
क्या चाहा ,क्या सराहा
क्या फला ,क्या झरा
क्या जला ,क्या बुझा
इन उलझनों में भटकता
मन वृन्दावन हो गया !
सबसे मूल्यवान जल
प्रिय नयनों में बसता है
मात्र इक प्रतिशत पानी
शेष बसती भावनाएं हैं !
इतना भर आया मन
सब शून्य हो गया
छलकते रहे मन-प्राण
शुष्क मधुबन हो गया !
बाल मन की चाह चाँद पाने की
युवा मन की चाह चाँद बन जाने की
हारे मन की कैसी अनोखी प्यास
अमावस में चांदनी बचा ले जाने की !
-निवेदिता
इतना भर आया मन
जवाब देंहटाएंसब शून्य हो गया
छलकते रहे मन-प्राण
शुष्क मधुबन हो गया !
बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
बहुत सुन्दर लिखा है आपने बधाई
जवाब देंहटाएंअमावस के लिये कितना बचाकर रखते रहते हैं, चाँदनी भी।
जवाब देंहटाएंबाल मन की चाह चाँद पाने की
जवाब देंहटाएंयुवा मन की चाह चाँद बन जाने की
हारे मन की की अनोखी प्यास
अमावस में चांदनी बचा ले जाने की !
बेहतरीन पंक्तियाँ।
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कल 22/10/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
बाल मन की चाह चाँद पाने की
जवाब देंहटाएंयुवा मन की चाह चाँद बन जाने की
हारे मन की की अनोखी प्यास
अमावस में चांदनी बचा ले जाने की !
andheri raat ke lie thoda prakash sab bacha hi lete hain....
bahut sundar rachna
ab to bas yahi kahna hai ki dard mere gaan ban ja
जवाब देंहटाएंsun jise dharti ki chhati hil pade ....
bahut sundar rachna...........
जवाब देंहटाएंनिवेदिता जी इस पोस्ट की तारीफ़ के लिये शब्द कम पड रहे हैं……………शानदार प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावों से सजी कविता. दीपावली की अग्रिम शुभ कामनाये स्वीकार करे
जवाब देंहटाएं''सबसे मूल्यवान जल
जवाब देंहटाएंप्रिय नयनों में बसता है
मात्र इक प्रतिशत पानी
शेष बसती भावनाएं हैं !''
गजब की भावनाएं....
बेमिसाल.... लाजवाब.....
बाल मन की चाह चाँद पाने की
जवाब देंहटाएंयुवा मन की चाह चाँद बन जाने की
हारे मन की कैसी अनोखी प्यास
अमावस में चांदनी बचा ले जाने की !
वाह ..
बहुत खूब !!
सबकी अपनी-आपनी चाह है। पर सही चाह तो उससे मिलन की ही है।
जवाब देंहटाएंबाल मन की चाह चाँद पाने की
जवाब देंहटाएंयुवा मन की चाह चाँद बन जाने की
हारे मन की कैसी अनोखी प्यास
अमावस में चांदनी बचा ले जाने की !
bahut sundar nivedita jee...
शानदार लेखन...........
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अभिव्यक्ति......
वाह......
खूबसूरत कविता निवेदिता जी |दीपावली की शुभकामनाएं |
जवाब देंहटाएंBehtareen....
जवाब देंहटाएंPrakash
www.poeticprakash.com
बहुत ही खूबसूरत रचना...
जवाब देंहटाएंसादर बधाई...
क्या खोजा ,क्या पाया
जवाब देंहटाएंक्या चाहा ,क्या सराहा
क्या फला ,क्या झरा
क्या जला ,क्या बुझा
इन उलझनों में भटकता
मन वृन्दावन हो गया !गहन एहसासों को वयक्त करती रचना...
इन उलझनों में भटकता
जवाब देंहटाएंमन वृन्दावन हो गया !....
सच को उद्घाटित करती पंक्तियाँ !!
निवेदिता जी, आपने बहुत गहरी बात कह दिया है .बहुत सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंबहुत प्रभावपूर्ण अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना,बधाई !
जवाब देंहटाएंनिवेदिता जी खूबसूरत भावपूर्ण कविता |दीपावली की शुभकामनाएं |
जवाब देंहटाएंइतना भर आया मन
जवाब देंहटाएंसब शून्य हो गया
छलकते रहे मन-प्राण
शुष्क मधुबन हो गया !
....gahan vedanamay man ki ek jhini aawaj.
बिखरे लम्हों को सिद्दत से महसूस किया है आपने इस कविता में। ..अच्छी लगी।
जवाब देंहटाएंसबसे मूल्यवान जल
जवाब देंहटाएंप्रिय नयनों में बसता है
मात्र इक प्रतिशत पानी
शेष बसती भावनाएं हैं !
....बहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति...
हारे मन की कैसी अनोखी प्यास
जवाब देंहटाएंअमावस में चांदनी बचा ले जाने की !
bhad khoobsurat
इतना भर आया मन
जवाब देंहटाएंसब शून्य हो गया
छलकते रहे मन-प्राण
शुष्क मधुबन हो गया !
बहुत हि सुन्दर भावनात्मक!
शुभकामनायें!
बहुत सुंदर प्रस्तुति ....
जवाब देंहटाएंहारे मन की कैसी अनोखी प्यास
जवाब देंहटाएंअमावस में चांदनी बचा ले जाने की !
सुंदर!
क्या खोजा ,क्या पाया
जवाब देंहटाएंक्या चाहा ,क्या सराहा
क्या फला ,क्या झरा
क्या जला ,क्या बुझा
इन उलझनों में भटकता
मन वृन्दावन हो गया ! bhaut hi khubsurat... happy diwali...