हमारा जीवन हर आती - जाती ,छोटी - छोटी साँसों की डोर से बँधा चलता है | जिस भी पल ये कच्चा धागा टूट जाता है ज़िन्दगी पर एक पूर्णविराम लग जाता है !आज का वर्तमान कल का अतीत बन व्यतीत हो जाता है ,परन्तु जब ज़िन्दगी को महसूस करने की बारी आती है ,अक्सर हम बड़े अवसरों को खोजने लगते हैं | जैसे एक इंतज़ार सा रहता है कि कोई चुटकुला सुनाये और हम हँस दें | जबकि अगर हम शांत हो एकांत में सोचें तो मुस्कराहटों की लड़ी न टूटे ऐसे कई सारे लम्हे दिल - दिमाग को सहलाते लहरा जायेंगे |
कितनी भी असाध्य लगता रोग हो ,हम उसका उपचार खोजने का प्रयत्न करते हैं और साथ में पीड़ित व्यक्ति के हँसते गुदगुदाते पलों को भी खोजते हैं | दुर्भाग्यवश जिस का एक पैर न हो ,उस को भी ज़िन्दगी बैसाखी के सहारे चलना सिखा देती है | नेत्रहीन व्यक्ति भी गिरने की सोच कर बढ़ते कदमों को थाम नहीं लेता ,टटोल कर चल ही पड़ता है | कई को तो जीवनरक्षक उपकरणों के सहारे भी कुछ पल का विस्तार ज़िन्दगी दे ही देती है |
अक्सर तनिक सा भी व्यवधान आ जाने पर ,जीवन में निराशा भर जाती है ........ एक अंधकूप सा बन जाता है और उठने वाला अगला कदम उन अतल अबूझ सी गहराइयों में धकेलता लगता है |
ये सब सत्य होते हुए भी जब ज़िन्दगी से विमुख नहीं करते हैं ,तो इसका मूल कारण क्या हो सकता है ? क्या हम ज़िन्दगी को जीना नहीं जानते हैं ? क्या हम उसका सम्मान नहीं रख पाते ? मुझे लगता है ये एक कटु सत्य है | हम शायद जीना भूलते जा रहे हैं | हमारी प्रकृति ,हमको अपनी कलाकारियों से भ्रमित करती ,जिन्दादिली से विमुख कर देती है | अपने सामने डगमगाते नन्हे कदमों को भूलते हुए उनके एक उच्च स्थान पर आसीन होने की कल्पना और कामना करते रह जाते हैं |
अन्धेरा भी हमको इसलिए ही समझ आता है क्योंकि हमने कभी प्रकाश भी देखा था | जब सभी रंग संतुलित होते हैं तभी हमें भी उजलापन दिखता है | जहाँ भी रंगों ने संतुलन खोया अंधियारा छा जाता है |
छोटी -छोटी साँसों से सीख कर हर पल में सुकून पाने का प्रयास ही ज़िन्दगी को जीने काबिल बनाता है | मरने के पहले जीना सीख लेना चाहिए .............
......निवेदिता
प्रेरणादायक सुन्दर पोस्ट |आभार
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत ही बढि़या लिखा है ...
जवाब देंहटाएंप्रेरणा देती सुन्दर पोस्ट.....बधाई..
जवाब देंहटाएंप्रेरणास्पद आलेख्।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब लिखा है आपने..सत्य बात कही है...
जवाब देंहटाएंनीरज
सच कहा है ... जिंदगी छोटी छोटी बातों से भी सीखी जा सकती है .. प्रेरणादायक पोस्ट ..
जवाब देंहटाएंहर दिन हम मरते हैं सीखते हैं ... पूर्णतया मरने से पहले ज़िन्दगी कई मौके देती है ....
जवाब देंहटाएंसच में, मरने के पहले तो जीना सीखना होगा।
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्रेरक आलेख!
जवाब देंहटाएंसादर
जीने की कला सीखनी ही चाहिए!
जवाब देंहटाएंजिंदगी को जीने और बेहतर तरीके से जीने की सीख देती पोस्ट।
जवाब देंहटाएंआभार......
One must be optimistic.
जवाब देंहटाएंbrilliant writing !!
जवाब देंहटाएंbahut khub....
जवाब देंहटाएंSARTHAK Sandesh deta lekh.
जवाब देंहटाएंप्रेरित करता लेख.....
जवाब देंहटाएंइस शावत चिंतन के लिये धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंshukriyaa ..........
जवाब देंहटाएंशब्दश : अनमोल है .सुन्दर पोस्ट.
जवाब देंहटाएं