चाहती हूँ रंगों के सागर में
कुछ रंग मैं भी सजा आऊँ .
एक धुंधली सी तस्वीर में
इक रंग प्यार का भर आऊँ
हो न जाए कहीं किसी रंग में
धूमिल या चटकीली मिलावट
सफेद तो रहे ही बेदाग़ ,
काला भी हो रौशन चमकीला
चाँद-तारों की थिरकन से
भरा-भरा रहे सजा सँवरा....
उस धुंधली तस्वीर में
ख़्वाबों की सुवास बसा दूँ
धुप ,कपूर ,अगरु औ चन्दन
इन से करूँ अभिनंदन ..........
-निवेदिता
वाह! बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंखूबसूरत है ये रंगों का संसार !
जवाब देंहटाएंरंग भरे, भाव भरे शब्द।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत सुन्दर्।
जवाब देंहटाएंbhaut hi sundar....
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर, प्यार कि रंग हैं ही ऐसे अपना असर दिखायंगे ज़रुर .......
जवाब देंहटाएंकाला भी हो रौशन चमकीला .... sadhuvad is kalpana ke liye...
जवाब देंहटाएंजीवन में रंग हैं तो आनंद हैं ..ये बने रहें यही शुभकामनायें आपको !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर...
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत ख्याल!!!
जवाब देंहटाएंआप का ये रंगों का संसार !बहुत ही खूबसूरत है......
जवाब देंहटाएंsatrangi rango se saji rachna........
जवाब देंहटाएंbahut hi badhiyaa
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...बधाई
जवाब देंहटाएंसुंदर भावपूर्ण कविता निवेदिता जी बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंbehad umda likha hai apne...
जवाब देंहटाएंसतरंगी कल्पनाये - बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंबहुत अर्थपूर्ण .. रंगों की गागर में अपना रंग मिलाने की चाह ...लाजवाब रचना ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावना प्रधान रचना
जवाब देंहटाएंगहन अभिव्यक्ति....सुंदर भाव लिए....
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