शनिवार, 5 मई 2012

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अश्रु 
तुम्हारे 
या मेरे 
दिल में हों 
पलकों में 
या आँखों से
चेहरे पर 
कहीं भी हो 
होते  बोझिल 
उनके साथ 
कभी मैं
कभी तुम 
और अक्सर 
हम दोनों ही 
बहते हुए 
पीछे छूट 
जाते हैं 
लम्हे 
बस इक 
शून्य सा 
छोड़ जाते हैं .......
           -निवेदिता 

16 टिप्‍पणियां:

  1. हम दोनों ही
    बहते हुए
    पीछे छूट
    जाते हैं
    लम्हे
    बस इक
    शून्य सा
    छोड़ जाते हैं ..

    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति // बेहतरीन रचना //

    MY RECENT POST ....काव्यान्जलि ....:ऐसे रात गुजारी हमने.....

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  2. आँसू बहने के पहले न जाने कितना कुछ बहता होगा।

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  3. इस छोटी सी रचना में आपने पंक्तियों और शब्दों का ऐसा सुंदर उप(प्र)योग किया है कि आसुओं का सगर उमड़ पड़ा है। एक दम भींगा-भींगा सा अहसास हुआ है।

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  4. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  5. इन लम्हों के शून्य में यादों कों जोड़ने का प्रयास ही जीवन का निरंतर संघर्ष है ...

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  6. भावनाओं का सुन्दर तालमेल सुन्दर रचना |

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  7. अश्रु
    तुम्हारे
    या मेरे
    दिल में हों
    पलकों में
    या आँखों से
    चेहरे पर
    कहीं भी हो
    होते बोझिल
    उनके साथ
    कभी मैं
    कभी तुम ....

    बहुत खूब...!

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  8. भावपूर्ण प्रस्तुति अंतस तक भिगो गयी.

    बधाई और शुक्रिया.

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  9. पहले आँसू और फिर शून्यता गहरे भाव...सुंदर रचना

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