कभी खुद
अपने ही घर में
खुद को मेहमान बना के देखें !
सजावटी क्राकरी में
अपने लिए भी चाय सजाकर देखें !
कभी खुद अपने लिए
फूलों की रंगीनी को सजा कर देखें !
कभी किसी उदास सी
शाम को रंगों से नहला कर देखें !
कभी यूँ ही भटक कर
खुद के लिए तोहफे चुन कर देखें !
नित घटती जाती साँसों से
अपने लिए भी इक लम्हा चुरा कर देखें !
निभा चुकी जिम्मेदारियों के बाद
कभी-कहीं सफर में तन्हा जा कर देखें !
हाँ !सच है ...अपनी दीवारें
अपनी सीमाएं ,यादों में आ-आ कर
राहों को थामेंगी जरूर
अपने अंधेरों से बाहर आने को
बस इक कदम बढ़ा कर देखें !
इतनी तल्ख भी नहीं ज़िन्दगी
जरा आँखों से आँखें मिला कर तो देखें ........
-निवेदिता
जीवट ....जिजीविषा से भरी बहुत सुंदर रचना ....
जवाब देंहटाएंबधाई एवं शुभकामनायें ....निवेदिता जी ...
बहुत बढ़िया प्रस्तुति,प्रभावित करती सुंदर रचना,.....बधाई निवेदिता जी
जवाब देंहटाएंMY RECENT POST.....काव्यान्जलि.....:ऐसे रात गुजारी हमने.....
इतनी तल्ख भी नहीं ज़िन्दगी
जवाब देंहटाएंजरा आँखों से आँखें मिला कर तो देखें .......
जीवन के अनगिनत रंगों से सजी प्रेरणात्मक अभिव्यक्ति।
बहुत ही बेहतरीन अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंनित घटती जाती साँसों से
जवाब देंहटाएंअपने लिए भी इक लम्हा चुरा कर देखें !
....बहुत सच कहा है..बहुत सुन्दर और सार्थक रचना...
जिस दिन हम खुद के घर में महेमान बन गए ,उसी दिन से जीवन की सांझ शुरू हो जायेगी ,ऐसा मेरा मानना हैं .....आभार
जवाब देंहटाएंbahut sundar kabhi kuch alag kabhi kuch sirf apne liye bhi hina chahiye
जवाब देंहटाएंजीवन को आनंद स्वरूप प्रस्तुत करें स्वयं के लिये।
जवाब देंहटाएंइतनी तल्ख भी नहीं ज़िन्दगी
जवाब देंहटाएंजरा आँखों से आँखें मिला कर तो देखें ....
सही कहा आपने ,बहुत सुंदर बधाई
बेहतरीन
जवाब देंहटाएंसादर
वाह क्या बात है बहुत लिखा है आपने बहुत खूब....
जवाब देंहटाएंजीने की राह सुझाती सोच ....उम्दा रचना
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना..बधाई
जवाब देंहटाएंनीरज
जिन्दगी खूबसूरत है। वैसे किधर जाने का प्रोग्राम बन रहा है! :)
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