परिपक्व होने के बाद भी युवा कहलाये जाने की लालसा असंतुष्ट मन का द्योतक लगती है | अपने युवा पुत्र अथवा पुत्री के साथ उनकी बहन जैसा दिखने की चाहत सहजता चुरा लेती है | कभी सोच कर देखें कि आप तो खुद को युवा दिखा रही हैं पर आपके बच्चे आपकी इस मनोवृत्ति को कैसे ले पा रहे हैं | अगर उनके दिल-दिमाग में झाँक कर देखे तो आप यही पाएंगी कि वो एक स्वस्थ माँ की कामना अवश्य करते हैं ,परन्तु माँ के रूप में एक माँ को ही देखना चाहते हैं | एक ऐसी माँ जो उनको समझ सके बिना उनके कुछ भी कहे | वो भी माँ में एक माँ की गरिमा चाहते हैं उश्रन्ख्लता नहीं |
हम उस स्थिति से क्यों भागना चाहते हैं जो हमारा सच है ! खुद के प्रति ईमानदार हैं तो कभी भी वास्तविकता से नहीं भागेंगे | हर उम्र के अपने फायदे और नुकसान दोनों ही होते हैं , तब हर उम्र की फायदे की चाहत रखना तो गलत ही होगा | जब हम माँ बनना चाहते हैं तो मातृत्व को स्वीकार करते हैं ,उसी प्रकार जब बच्चों को बढ़ते देखना चाहते हैं तो अपनी परिपक्वता को भी स्वीकार करना चाहिए | इसलिए जब कोई कहे "लड़की लग रही हो" तो खुश न हों क्योंकि निश्चित रूप से मन में तो वो आपका उपहास ही कर रहा होता है | पर हाँ जब कोई कहे " आप स्वस्थ लग रही हैं " तब खुश जरूर हो जाइए .....:)
-निवेदिता
बहुत सही कहा ...बेहतरीन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंएकदम सही फ़रमाया आपने
जवाब देंहटाएंhttp://cbmghafil.blogspot.com/2012/05/blog-post_06.html
३५ तक कोई कहे तो चलता है .... सौंदर्य अलग बात है , बेटी से तुलना सही नहीं .
जवाब देंहटाएंचिरयुवा रहने भर की चाहत से ऊर्जा पाता जगत..
जवाब देंहटाएंbahut khoob sahi farmaya aapne..............
जवाब देंहटाएंbahut khoob sahi farmaya aapne..............
जवाब देंहटाएंअपनी उम्र के साथ साथ परिपक्वता को स्वीकार करना चाहिए......
जवाब देंहटाएंभाव पुर्ण अभिव्यक्ति ,...
MY RECENT POST ,...काव्यान्जलि ...: आज मुझे गाने दो,...
एकदम सही बात कही है....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन पोस्ट:-)
aksar jo kuch jiske man hota hai wahi bolta hai....
जवाब देंहटाएंbahut badiya..
सही बात...सुन्दर प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर प्रस्तुति । । मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंहमें खुद के प्रति ईमानदार रहना चाहिए।
जवाब देंहटाएंसही बाट ..सच स्वीकारें ...!!
जवाब देंहटाएंमैं भी मानती हूँ कि माँ को माँ ही लगना चाहिए ..वर्षों तक टोकती रही हूँ लोगो को कि मैं माँ ही दिखना चाहती हूँ !
जवाब देंहटाएंक्षण भर के लिए खुश हो भी जाए मन तो बुरी बात नहीं है ... असलियत तो सभी जानते ही हैं ...
जवाब देंहटाएंउम्र का पडाव कोई सा भी क्यूँ न हो बस यदि कोई भी इंसान खुद के प्रति ईमानदार रहना सीख ले तो न सिर्फ यह बल्कि और भी कई समस्याओं का समाधान संभव है। विचारणीय आलेख....
जवाब देंहटाएंवाह वाह....;
जवाब देंहटाएंदूसरों के प्रमाण पर निर्भरता...स्वयं को धोखा देकर..वाह..!
जवाब देंहटाएंअगली मुलाकात होगी तब कुछ कहा जायेगा कि क्या लग रही हैं। अभी तो यही कह रहे हैं कि पोस्ट अच्छी लग रही है। :)
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन व प्रभावपूर्ण रचना....
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
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