ये कैसी मानसिकता
ये कैसी आयी दुर्बलता
अनिश्चित को सहेजा
निश्चित नियति देख
घबराया कंपकंपाया
आती सांस तो कभी
इक पल आते-आते
रुक कर अटक-भटक
थकती ही चली जानी है
नाम की परवाह सब
संजोते ,सांस के थमते
नाम अनाम हो कैसा
गुमनाम कर जाता है
चिरपरिचित कहूँ या
मानूँ चिरप्रतीक्षित....
उस अनपेक्षित तिथि की
ये कैसी अपेक्षाओं की
सूली चढ चुकी उपेक्षा
रिश्तों के ताने-बाने का
चंदोवा ताने ये कैसी
पहचान अनजानी बनी !
-निवेदिता
उस अनपेक्षित तिथि की
ये कैसी अपेक्षाओं की
सूली चढ चुकी उपेक्षा
रिश्तों के ताने-बाने का
चंदोवा ताने ये कैसी
पहचान अनजानी बनी !
-निवेदिता
नाम अनाम हो कैसा
जवाब देंहटाएंगुमनाम कर जाता है...
अंतिम सत्य..!!
बहुत खूबसूरती से कही गयी...!
रिश्तों में भी गुम होता नाम .. अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंनाम तो उतर ही जाता है, न जाने कितनी उपाधियाँ ओढ़ लेते हैं हम।
जवाब देंहटाएंकई बार जीवन खुद ही प्रश्नचिन्ह लगता है .....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें !
नाम अनाम हो कैसा
जवाब देंहटाएंगुमनाम कर जाता है...
Sach hai.... Umda Panktiyan
खूबसूरत बेहतरीन पंक्तियाँ बधाई
जवाब देंहटाएंगहरे मनोभाव।
जवाब देंहटाएंआपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा दिनांक 07-11-2011 को सोमवासरीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ
जवाब देंहटाएंअनुत्तरित प्रश्न।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन पंक्तियाँ .
जवाब देंहटाएंmann ki uthalputhal ki gahri abhivyakti
जवाब देंहटाएंगहन भावो का समावेश्।
जवाब देंहटाएंनाम अनाम हो कैसा
जवाब देंहटाएंगुमनाम कर जाता है
Bahut khoob...
www.poeticprakash.com
gahan abhivaykti....
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना,भावपरक !
जवाब देंहटाएंहम्म ...!
जवाब देंहटाएंगहन!
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति !!
जवाब देंहटाएंगहन चिंतन.... उम्दा प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंसादर....
बहुत अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंउम्दा रचना!
जवाब देंहटाएंअच्छी शब्द रचना .....
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने ! बधाई!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना...बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएंनीरज
सुन्दर प्रयास सरहनीय है , शुक्रिया जी
जवाब देंहटाएंनाम गम जायेगा, चेहरा ये बदल जायेगा.
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति.
बढ़िया प्रस्तुति .
जवाब देंहटाएंनाम अनाम हो कैसा गुमनाम कर जाता है ...
जवाब देंहटाएंभावनाओं और विचारों के असंतुलन से उपजती है ऐसे रचनाएँ !
sundar rachana
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