अहा !
ये प्यारा पुनर्मिलन !
पलकों में छाई नमी ,
लबों पे खिलखिलाती
शबनमी यादें छायीं !
यूँ ही बस इक जरा सा
हाथ बढ़ा तुम्हे थामा ,
सितारों सी टिमटिमाती
ओस की बूंदों सी पावन
फूलों से सुरभित दिन
अलमस्त अल्हड़ बातें !
विस्मृत करते सब अपने
वर्तमान ,मन मयूर सा
थिरक उठे ,जब किसी ने
छेड़ी पुरानी तान ......
अनायास गूँज जाने वाली
वो किसी की भी जयकार !
कभी बजरंगबली की जय
तो कभी बमबम ,लोटन ,
चीकू ,चौडू की पुकार .....
ज़रा सी निगाह फेरी देखा
गांधी ही नहीं बापू भी थे
वहीं सशरीर विराजमान !
गुंजन की गुनगुन में भी
टाइगर की पुकार थी
करते भी क्या थे तो ये सब
"मोती के लाल "
इतनी ऊर्जा ,इतनी विशुद्ध
ऑक्सीजन कहीं और मिलना
दुर्लभ था ,इस धरा पर यूँ
अट्टहास साथ पलकों की नमी
और कहीं मिल पाना दुष्कर था !
-निवेदिता
स्वर्णजयंती पर मिलना एक सुखद अनुभूति रही होगी ..सुन्दर प्रस्तुति करण
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपकी प्रस्तुति अच्छी लगी निवेदिता जी.
जवाब देंहटाएं'मोती के लाल' के बारे में कुछ बताएं.
क्या यह 'मोती लाल इंजीरियरिंग कालिज,इलाहाबाद' तो नही?
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा,नई पोस्ट जारी की है.
संगीता जी ,अतुल जी ,राकेश कुमार जी ....धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंराकेश कुमार जी ,आप ने बिलकुल सही पहचाना .... ये "मोती लाल नेहरु इंजीनियरिंग कालेज ,इलाहाबाद " ही है । मेरे हमसफ़र अमित जी वहीं के मोती हैं ..... ८६ बैच का रजत जयंती समारोह हुआ था वहीं की ये यादें हैं :)
Wonderful!!
जवाब देंहटाएंMazaa aa gaya padh kar!
विश्व-प्रसिद्ध संगम-नगरी इलाहाबाद के MNNIT में,
जवाब देंहटाएंAlumni Meet 12-13 नवम्बर'11 का यह था...
एक अनोखा संगम !
चार-चाँद लगाया है "निवेदिता" भाभी ने.........
बयाने अलफ़ाज़ में.......
जो महसूस किया है अपनी जज़्बात में ---
बोलो हर-हर भोले..........बम-बम !
मस्त हुए सभी इस भाव में डूब कर.....
....उनकी भावनाओं के समंदर में,
कैसी खूबसूरत है अंदाज़े-बयान !...
देखो भैय्या उनके हम-दम - "बम-बम" !
अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत एहसास।
जवाब देंहटाएंपुराने मित्रों से मिलना एक सुखद अनुभव है।
जवाब देंहटाएंपुरानी यादों की बहुत सुंदर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंgood one
जवाब देंहटाएंbahut khub.....aise mouke bar bar aaye jeevan mei...aabhar
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक और सुंदर प्रस्तुति.। मेरे नए पोस्ट पर (हरिवंश राय बच्चन) आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएं"मोती के लाल "
जवाब देंहटाएंइतनी ऊर्जा ,इतनी विशुद्ध
ऑक्सीजन कहीं और मिलना
दुर्लभ था ,इस धरा पर यूँ
अट्टहास साथ पलकों की नमी
और कहीं मिल पाना दुष्कर था !
वाह ! यह मोती के लाल और आपकी कलम ने किया कमाल .....बस जगह मचा दी धमाल ....!
इतनी ऊर्जा ,इतनी विशुद्ध
जवाब देंहटाएंऑक्सीजन कहीं और मिलना
दुर्लभ था ,इस धरा पर यूँ
अट्टहास साथ पलकों की नमी
और कहीं मिल पाना दुष्कर था !
यादों को सुन्दर सब्दों मैं पिरोया है खूबसूरत रचना -
सुंदर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंसादर बधाई...