शनिवार, 26 नवंबर 2011

"मोती के लाल "


अहा !
ये प्यारा पुनर्मिलन !
पलकों में छाई नमी ,
लबों पे खिलखिलाती
शबनमी यादें छायीं !
यूँ ही बस इक जरा सा
हाथ  बढ़ा तुम्हे थामा ,
सितारों सी टिमटिमाती
ओस की बूंदों सी पावन
फूलों से सुरभित दिन
अलमस्त अल्हड़ बातें !
विस्मृत करते सब अपने
वर्तमान ,मन मयूर सा
थिरक उठे ,जब किसी ने
छेड़ी पुरानी तान ......
अनायास गूँज जाने वाली
वो किसी की भी जयकार !
कभी बजरंगबली की जय
तो कभी बमबम ,लोटन ,
चीकू ,चौडू की पुकार .....
ज़रा सी निगाह फेरी देखा
गांधी ही नहीं बापू भी थे
वहीं सशरीर विराजमान !
गुंजन की गुनगुन में भी
टाइगर की पुकार थी
करते भी क्या थे तो ये सब
"मोती के  लाल "
इतनी ऊर्जा ,इतनी विशुद्ध
ऑक्सीजन कहीं और मिलना
दुर्लभ था ,इस धरा पर यूँ
अट्टहास साथ पलकों की नमी
और कहीं मिल पाना दुष्कर था !
                                   -निवेदिता          

17 टिप्‍पणियां:

  1. स्वर्णजयंती पर मिलना एक सुखद अनुभूति रही होगी ..सुन्दर प्रस्तुति करण

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  2. आपकी प्रस्तुति अच्छी लगी निवेदिता जी.
    'मोती के लाल' के बारे में कुछ बताएं.
    क्या यह 'मोती लाल इंजीरियरिंग कालिज,इलाहाबाद' तो नही?

    मेरे ब्लॉग पर आईयेगा,नई पोस्ट जारी की है.

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  3. संगीता जी ,अतुल जी ,राकेश कुमार जी ....धन्यवाद !
    राकेश कुमार जी ,आप ने बिलकुल सही पहचाना .... ये "मोती लाल नेहरु इंजीनियरिंग कालेज ,इलाहाबाद " ही है । मेरे हमसफ़र अमित जी वहीं के मोती हैं ..... ८६ बैच का रजत जयंती समारोह हुआ था वहीं की ये यादें हैं :)

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  4. विश्व-प्रसिद्ध संगम-नगरी इलाहाबाद के MNNIT में,
    Alumni Meet 12-13 नवम्बर'11 का यह था...
    एक अनोखा संगम !
    चार-चाँद लगाया है "निवेदिता" भाभी ने.........
    बयाने अलफ़ाज़ में.......
    जो महसूस किया है अपनी जज़्बात में ---
    बोलो हर-हर भोले..........बम-बम !
    मस्त हुए सभी इस भाव में डूब कर.....
    ....उनकी भावनाओं के समंदर में,
    कैसी खूबसूरत है अंदाज़े-बयान !...
    देखो भैय्या उनके हम-दम - "बम-बम" !

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  5. पुराने मित्रों से मिलना एक सुखद अनुभव है।

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  6. पुरानी यादों की बहुत सुंदर प्रस्तुति...

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  7. बहुत रोचक और सुंदर प्रस्तुति.। मेरे नए पोस्ट पर (हरिवंश राय बच्चन) आपका स्वागत है । धन्यवाद ।

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  8. "मोती के लाल "
    इतनी ऊर्जा ,इतनी विशुद्ध
    ऑक्सीजन कहीं और मिलना
    दुर्लभ था ,इस धरा पर यूँ
    अट्टहास साथ पलकों की नमी
    और कहीं मिल पाना दुष्कर था !

    वाह ! यह मोती के लाल और आपकी कलम ने किया कमाल .....बस जगह मचा दी धमाल ....!

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  9. इतनी ऊर्जा ,इतनी विशुद्ध
    ऑक्सीजन कहीं और मिलना
    दुर्लभ था ,इस धरा पर यूँ
    अट्टहास साथ पलकों की नमी
    और कहीं मिल पाना दुष्कर था !
    यादों को सुन्दर सब्दों मैं पिरोया है खूबसूरत रचना -

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