मंगलवार, 8 नवंबर 2011

उलझी गाँठ सी है ......


            
पता नहीं ये लम्हों की खुशी है 
या खुशनुमा लम्हे मंद स्मित 
बन किलकारियां बरसाते हैं 
ये पलकों तले छुपे अश्रु ही थे 
जो समय के साये परवान चढ़ते  
सुहानी भोर में ओस की बूंदों से 
मलयानिल के हिंडोलों पर झूमते  
सुरभित सुमनों के कपोलों पर 
जीवन ज्योति सा झिलमिला 
पूर्णिमा के चाँद सा जीवन में 
ज्वार-भाटा बन बस  भी जाते हैं 
भूलभूलैय्या सी अस्थियों के इस  
पिंजर में नन्हा सा दिल बन 
धड़कन बढ़ा चंद साँसे दे 
जीने का आसरा बसा जाते हैं 
दिल है तो कहीं कुछ दर्द भी है 
पंख हैं तो पंछी की उड़ान भी है 
कंधे हैं तो कभी अर्थी का भार है 
कभी पुष्प हार हैं ,तो कभी कहीं 
ज़िन्दगी की प्राणवान नसों को 
तोड़ती फंदों की उलझी गाँठ सी है......
                                -निवेदिता  


23 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर शब्द और उतने ही सुन्दर भावों से सजी इस रचना के लिए बधाई स्वीकारें

    नीरज

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  2. दिल है तो कहीं कुछ दर्द भी है
    पंख हैं तो पंछी की उड़ान भी है bahut hi badhiyaa

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  3. कभी पुष्प हार हैं ,तो कभी कहीं
    ज़िन्दगी की प्राणवान नसों को
    तोड़ती फंदों की उलझी गाँठ सी है......

    बेहतरीन पंक्तियाँ हैं।

    सादर

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  4. सुन्दर रचना
    इसी का नाम जिंदगी है

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  5. वाह ...बहुत खूब कहा है आपने ।

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  6. प्रभावित करती बेहतरीन पंक्तियाँ ....
    "दिल है तो कहीं कुछ दर्द भी है
    पंख हैं तो पंछी की उड़ान भी है
    कंधे हैं तो कभी अर्थी का भार है
    कभी पुष्प हार हैं ,तो कभी कहीं
    ज़िन्दगी की प्राणवान नसों को
    तोड़ती फंदों की उलझी गाँठ सी है...."
    बहुत सुन्दर !!

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  7. गाँठों की उत्पत्ति होती ही है ऊर्जा पीने को।

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  8. भूलभूलैय्या सी अस्थियों के इस
    पिंजर में नन्हा सा दिल बन
    धड़कन बढ़ा चंद साँसे दे
    जीने का आसरा बसा जाते हैं ....

    नन्हा दिल.. और बड़ी ऊर्जा..
    बहुत बहुत सुन्दर...!!

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  9. दिल है तो कहीं कुछ दर्द भी है
    पंख हैं तो पंछी की उड़ान भी है
    कंधे हैं तो कभी अर्थी का भार है
    कभी पुष्प हार हैं ,तो कभी कहीं

    sundar....

    www.poeticprakash.com

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  10. अच्छी लगी यह कविता .विशेष रूप से ये पंक्तियाँ -
    "दिल है तो कहीं कुछ दर्द भी है
    पंख हैं तो पंछी की उड़ान भी है"
    सुंदर प्रस्तुतिकरण .आभार .

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  11. दिल है तो कहीं कुछ दर्द भी है
    पंख हैं तो पंछी की उड़ान भी है
    कंधे हैं तो कभी अर्थी का भार है

    ...बहुत सुंदर अभिव्यक्ति...

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  12. bahut sundar abhivyakti pyaari kavita.aapke blog par pahli baar aai hoon bahut achcha laga aakar.aapki shrankhla me jud rahi hoon.ab milna hota rahega.aap mere blog par bhi saadar aamantrit hain.

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  13. दिल है तो कहीं कुछ दर्द भी है
    पंख हैं तो पंछी की उड़ान भी है..गहन भाव सुन्दर शब्द योजना..

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  14. बहत खूब ..आपके ब्लॉग पर आना अच्छा लगा ..मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है

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