रविवार, 29 मई 2016

जब तक तुम हो ......





आइना भी कितना दिलफरेब है 
ये तो बस चेहरा ही देखता है 
नज़रें मेरी तरस बरस कर
हर पल बस तुम्हे देखती हैं 
तुम दिख जाते हो न 
तभी तक ये आँखे देखती हैं 
पगला दिल धड़कना भूल जाता है 
निगाहों से जब तुम ओझल होते हो 
ये लब तो है मेरे पर देखो न 
हर पल बस नाम तुम्हारा ही लेते हैं 
सच है ये साँसे भी तभी आती हैं 
जब तुम कहीं आस पास होते है 
मनो या न मानो "बस यूँ ही" समझो 
जब तक तुम हो तभी तक मैं हूँ  .......... निवेदिता 

1 टिप्पणी:

  1. मानो या न मानो "बस यूँ ही" समझो
    जब तक तुम हो तभी तक मैं हूँ .......
    बहुत सुन्दर ......... .प्यार होता ही है एक दूजे के लिए

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